जमानियांः फिर वही जंग, सुनीता बनाम ओपी

गाजीपुर। जमानियां विधानसभा सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी चुनावी जंग पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह और मौजूदा विधायक सुनीता सिंह के बीच होगी। जहां सपा के ओमप्रकाश सिंह अपनी पिछली हार का हिसाब किताब चुकता करने के लिए मैदान में उतरेंगे। वहीं भाजपा की सुनीता सिंह योगी आदित्यनाथ की सरकार दोबारा बनवाने की हुंकार भरेंगी।
विधानसभा की 91 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची भाजपा शुक्रवार को जारी की। उसमें गाजीपुर के लिए अकेले जमानियां सीट पर विधायक सुनीता सिंह का नाम है। मतलब शेष छह सीटों के दावेदारों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा जबकि सपा की गुरुवार को जारी सूची में भी गाजीपुर की दो सीटों के उम्मीदवार थे। जमानियां से पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह और जंगीपुर के लिए विधायक डॉ.वीरेंद्र यादव।
हालांकि विधायक सुनीता सिंह शुरू से अपने टिकट को लेकर आश्वस्त थीं। दूसरे दावेदार लखनऊ, दिल्ली की दौड़ लगाते रहे तो सुनीता जनसंपर्क में जुटी रहीं। पिछले चुनाव में मनोज सिन्हा की सिफारिश पर उन्हें टिकट मिला था और विधायक बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी वह करीब पहुंच गईं। योगी भले अपनी मंत्रिपरिषद में सुनीता के लिए जगह नहीं बना पाए लेकिन उन्हें पूरा स्नेह दिए। इतना कि जब सुनीता योगी को बुलाईं तब वह जमानियां क्षेत्र में पहुंचने के लिए समय निकाले और सुनीता विकास कार्यों का जो प्रस्ताव दीं। उसे सरकार की मंजूरी मिली। अब जबकि सुनीता सिंह को दूसरी बार पार्टी का टिकट मिला है तो यह माना जा रहा है कि उन्हें मनोज सिन्हा के साथ ही योगा आदित्यनाथ का आशीर्वाद मिला है। सुनीता भाजपा कार्यकर्ताओं में भी लोकप्रिय हैं। कई ऐसे मौके आए जब वह कार्यकर्ताओं के पक्ष में चट्टान की तरह खड़ी नजर आईं।
पिछले चुनाव में सुनीता सिंह को कुल 76 हजार 823 वोट मिले थे जबकि मुस्लिम बाहुल्य उस क्षेत्र में अजेय माने जाने वाले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह 49 हजार 557 वोट पाकर तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। वैसे उनकी उस स्थिति के लिए मुख्य कारण बसपा उम्मीदवार रहे अतुल राय माने गए थे। वह 67 हजार 559 वोट बटोर कर दूसरे स्थान पर थे। तब अतुल अंसारी बंधुओं के करीब थे और ओमप्रकाश सिंह के मुस्लिम आधार में ठीक से हिस्सेदारी कर लिए थे लेकिन इस बार अंसारी बंधु एक तरह से सपा के साथ हैं और उनके संग ओमप्रकाश सिंह की यारी फिर से परवान चढ़ चुकी है। उधर बसपा उम्मीदवार की घोषणा अभी होनी है। देखा जाए तो घोषणा की औपचारिकता भर बाकी है। परवेज खां का नाम लगभग फाइनल है। वह चुनाव मैदान में उतर कर ओमप्रकाश सिंह का कितना नुकसान कर पाएंगे यह तो वक्त बताएगा लेकिन 2002 के चुनाव में उनके पिता असलम खां भी लड़कर ओमप्रकाश सिंह से खुद को आजमाए थे। तब वह मुकाबला दिलदारनगर सीट पर हुआ था। ओमप्रकाश सिंह के कुल 56 हजार 914 वोट के मुकाबले असलम खां मात्र 38 हजार 823 वोट पर ही सिमट गए थे। जाहिर था कि मुसलमानों ने हम मजहब का मोह छोड़ कर ओमप्रकाश सिंह का साथ दिया था। 2007 के चुनाव के बाद नए परिसीमन में दिलदारनगर सीट का वजूद खत्म हो गया और उसका बड़ा हिस्सा अब जमानियां में है।
तब हैरानी नहीं कि जमानियां में अबकि विधायक सुनीता सिंह तथा पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के बीच का मुकाबला रोचक रहेगा।