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एमएलसी चुनावः चार से नामांकन, मतदान तीन मार्च को

गाजीपुर। विधानसभा चुनाव के बीच एमएलसी (स्थानीय निकाय) के चुनाव का भी कार्यक्रम घोषित हो गया है। निर्वाचन आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के तहत गाजीपुर सहित प्रदेश की कुल 35 सीटों के लिए यह चुनाव दो चरणों में होगा।

गाजीपुर में चुनाव पहले चरण में होगा। इसके लिए चार फरवरी से नामांकन का काम शुरू हो जाएगा और 11 फरवरी तक चलेगा। नामांकन पत्रों की जांच 14 फरवरी को होगी और नाम वापसी के लिए अंतिम तारीख 16 फरवरी तय है जबकि मतदान तीन मार्च को सुबह आठ से शाम चार बजे तक होगा। मतगणना 12 मार्च को शुरू होगी।

मालूम हो कि विधानसभा चुनाव गाजीपुर की सभी सात सीटों के लिए अंतिम और सातवें चरण में होना है। उसके लिए  नामांकन दस फरवरी से 17 फरवरी तक होगा। नामांकन पत्रों की जांच 18 फरवरी को और नाम वापसी 21 फरवरी को होनी है जबकि सात मार्च को वोट पड़ेंगे। उसके बाद मतगणना दस मार्च को होगी।

…पर सपा किस पर लगाएगी दाव

इसी बीच एमएलसी चुनाव का भी कार्यक्रम घोषित होने से राजनीतिक दलों की गतिविधियां और बढ़ गई हैं। खासकर भाजपा तथा सपा के लोग इसकी तैयारी में जुट गए हैं। मौजूदा वक्त में गाजीपुर की सीट पर भाजपा का कब्जा है। हालांकि पिछले चुनाव में भाजपा का अधिकृत तौर पर कोई उम्मीदवार नहीं था। सपा से बगावत कर चुनाव मैदान में निर्दल उतरे विशाल सिंह चंचल को एक तरह से भाजपा ने समर्थन, सहयोग दिया था। साथ ही चंचल को अंसारी बंधुओं का भी पूरा साथ मिला था। तब सपा के उम्मीदवार थे ड़ॉ,सानंद सिंह। सपा के भितरघातियों ने भी चंचल को ही वोट करवाया था। उस दशा में चंचल को चौतरफा समर्थन मिला था। बावजूद डॉ.सानंद सिंह ने उन्हें कड़ी चुनौती दी थी और चंचल से मात्र 65 वोट से पिछड़ गए थे। चंचल को कुल 1186 वोट मिले थे जबकि डॉ.सानंद सिंह 1121 प्राप्त किए थे। तब सपा में डॉ.सानंद का चुनाव अभियान अकेले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने संभाला था। बाद में चंचल भाजपा में शामिल हो गए थे। माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होगा। यह लगभग पक्का है कि चंचल को भाजपा मैदान में उतारेगी लेकिन सपा से कौन आएगा। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है लेकिन यह जरूर है कि सपा पिछली हार का बदला लेने के लिए कोई दमदार, दामदार उम्मीदवार लाएगी। संभव हो कि पार्टी एक बार फिर डॉ.सानंद सिंह पर ही दाव लगाए लेकिन तब सपा के शीर्ष नेतृत्व को यह भी देखना होगा कि पार्टी में भितरघात की दोबारा नौबत न आए। वैसे भी अब अंसारी बंधु सपा के पक्ष में हैं।

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