अलग-अलग मामलों में दो दुष्कर्मियों को कठोर कैद और अर्थ दंड

गाजीपुर। विशेष कोर्ट (पॉक्सो एक्ट-प्रथम) के लिए शुक्रवार का दिन खास रहा। अलग-अलग दो मामलों में दो कुकर्मियों को सजा सुनाई गई। एक में दस और दूसरे में सात साल की कठोर कैद की सजा सुनाई की गई। दोनों मामलों में उन पर अर्थ दंड भी लगाया गया। अर्थ दंड न देने पर उन्हें छह माह की और कैद भुगतनी होगी। दोनों मामलों में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनुज कुमार राय ने पैरवी की।
पहला मामला नंदगंज थाने के मुडरभा का था। अभियोजन के मुताबिक 29 जुलाई 2016 की रात करीब आठ बजे किशोरी शौच के लिए घर से निकली थी लेकिन घर नहीं लौटी। इस मामले में किशोरी के पिता ने सुग्रीव चौहान, नीरज चौहान, प्रहलाद पाल तथा संतोष पाल के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कराया। घटना के दो दिन बाद ही पुलिस ने अभियुक्त सुग्रीव चौहान के कब्जे से किशोरी को बरामद किया। किशोरी के बयान पर दर्ज मामले में गैंगरेप की धारा भी जोड़ दी गई। मुकदमे के ट्रायल में पीड़िता सुग्रीव चौहान को छोड़ कर अन्य तीन अभियुक्तों की पहचान से इन्कार कर दी। अभियोजन की ओर से कुल आठ गवाह पेश किए गए। उनमें पीड़िता का चचेरा भाई भी पक्षद्रोही हो गया। उस दशा में अभियोजन अकेले सुग्रीव चौहान को ही दोषी साबित करने में सफल रहा। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने और साक्ष्य परीक्षण के बाद सुग्रीव चौहान को विभिन्न धाराओं में कुल दस साल सश्रम कारावास तथा 40 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया।
दूसरा मामला मुहम्मदाबाद कोतवाली के रघुवरगंज का था। घटना 13 अक्टूबर 2017 की रात हुई थी। पांच साल की बालिका घर के बाहर चारपाई पर सोई थी जबकि उसके माता-पिता तथा भाई-बहन घर में भोजन कर रहे थे। भोजन कर पिता बाहर आया तो बालिका अपनी चारपाई पर नहीं थी। खोजबीन शुरू हुई। उसी बीच गांव के सिवान में नदी की ओर से बच्ची की चित्कार सुनाई पड़ी। जब उस दिशा में पिता और गांव के अन्य लोग गए तब बुरी नीयत से बच्ची को दबोचते हुए श्रीकांत राजभर भागता मिला। बच्ची के मुंह में कपड़ा ठूंसा था। मुकदमे की सुनवाई के वक्त अभियोजन की ओर से कुल तीन गवाह पेश हुए। सभी ने घटनाक्रम की पुष्टि की। न्यायाधीश ने विभिन्न धाराओं में श्रीकांत राजभर को सात साल की कठोर कैद और 15 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। इस मामले में खास यह रहा कि श्रीकांत राजभर पीड़िता के दादा के उम्र की थी।