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भाजपाः अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहीं विधायक अलका राय !

गाजीपुर (जयशंकर राय)। यूं तो गाजीपुर की तीनों भाजपा विधायकों की सीटों पर टिकट के दावेदारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है लेकिन सबसे ज्यादा मारामारी की नौबत मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर दिख रही है।

मुहम्मदाबाद सीट पर पार्टी नेतृत्व मौजूदा विधायक अलका राय को दोबारा मौका देगा कि नहीं यह उसके विशेषाधिकार का मामला है लेकिन वहां दावेदारों की लंबी फेहरिस्त से इस चर्चा को बल जरूर मिल रहा है कि इस बार अलका राय का टिकट कटना पक्का है। टिकट के अन्य दावेदारों में कई नामचीन चेहरे हैं, जिनकी क्षेत्र में खुद की पकड़ है या पार्टी में ऊपर तक प्रभाव है। इन दावेदारों के नए वर्ष, मकरसंक्रांति और गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं वाली होर्डिंग, पोस्टर से क्षेत्र की चट्टी, चौराहों के बिजली के खंभे, पेड़ वगैरह पट गए हैं।

दावेदारों के इन प्रमुख चेहरों में एक चेहरा वीरेंद्र राय का है। शुरू से वह भाजपा के क्षेत्रीय दमदार चेहरों में शामिल हैं। पार्टी 2012 के चुनाव में उन पर दाव भी लगाई थी लेकिन पार्टी के ही कतिपय बड़े नेताओं ने उनके साथ जबरदस्त घात किया था। यहां तक कि उन्होंने अपने प्रभाव वाले वोटरों को बसपा पर शिफ्ट कराने की हर हिकमत लगा दी थी। तब उन नेताओं में एकाध की टेलीफोनिक बातचीत की ऑडियो रिकार्डिंग भी वायरल हुई थी। उसका नतीजा यह हुआ था कि वीरेंद्र राय लड़ाई की मुख्यधारा से कट कर मात्र 13 हजार 436 वोट लेकर चौथे स्थान पर पहुंच गए थे।

वीरेंद्र राय की तरह पूर्व विधायक पशुपतिनाथ राय भी दावेदारों की कतार में शामिल हैं। वह भाजपा छोड़कर 2007 के चुनाव में बसपा के टिकट पर दिलदारनगर सीट से लड़े थे और 55 हजार 150 वोट बटोर कर सपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह को हरा कर विधायक बने थे। उसके बाद नए परिसीमन में दिलदारनगर सीट का वजूद खत्म हो गया। तब वह 2012 के चुनाव में बसपा से ही मुहम्मदाबाद सीट पर अपने लिए संभावनाएं बनाने में जुटे लेकिन बसपा उनके अरमानों पर पानी फेर दी। दोबारा लड़ने का मौका नहीं दी। बेचारे क्या करते। भाजपा में लौटकर 2017 के चुनाव से ही मुहम्मदाबाद सीट से विधानसभा में फिर पहुंचने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।

प्रमुख दावेदारों में मनोज राय भी हैं। बिहार प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ कर राजनीति में उतरे मनोज राय भाजपा में अपनी धमाकेदार इंट्री के साथ ही जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं। देखा जाए तो मनोज राय क्षेत्र के लिए भले नए चेहरे हों लेकिन भाजपा नेतृत्व समूह के लिए नए नहीं हैं। आरएसएस के वह बाल स्वंय सेवक रहे हैं। विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कई अहम पद संभाले हैं। फिर बिहार प्रशासनिक सेवा में आने से पहले तक वह भाजयुमो के लिए सक्रिय रहे।

बहरहाल यह सभी दावेदार कितने पानी में हैं। इसका पता तो वक्त आने पर चलेगा लेकिन इधर मौजूदा विधायक अलका राय दोबारा अपने टिकट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। बल्कि वह तो अपने बेटे पीयूष राय को राजनीति में पूरी तरह स्थापित करने के प्रयास में हैं। वह चाहती हैं कि उनकी जगह पार्टी पीयूष को चुनाव लड़ने का मौका दे। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि अलका राय का यह पुत्र मोह ही है कि अपने पति पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद से उनकी राजनीतिक पूंजी सहेजने में लगे रहे भतीजे आनंद राय मुन्ना को भी उन्होंने एक तरह से छटका दिया है जबकि वह पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। खबर यह भी है कि अलका राय बेटे पीयूष के टिकट के लिए पार्टी के लगभग हर बड़े नेता के दरबार में हाजिरी लगा चुकी हैं। पार्टी का एक खेमे की मानी जाए तो टिकट बंटवारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चलेगी और उनकी सहानुभूति अलका राय के लिए रहेगी। वह अलका राय को दोबारा चुनाव मैदान में देखना चाहेंगे। ऐसा मानने वालों की दलील यह भी है कि योगी के टारगेट माफियाओं की लिस्ट में मुख्तार अंसारी टॉप पर हैं और वह अलका राय के पति कृष्णानंद राय के हत्यारोपी रहे हैं। इस दशा में योगी को अंदाजा है कि मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से मुख्तार के परिवार के राजनीतिक किले को भी ढाहने में अलका राय ही कारगर हो सकती हैं।

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