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मुख्तार के लिए मायावती भी रहेंगी ‘कठोर’!

गाजीपुर। अगर सूबे में बसपा की सरकार बनी तो वह भी मऊ विधायक मुख्तार अंसारी पर थोड़ा भी रहम नहीं करेगी। उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करेगी। मुख्तार का टिकट भी काट दिया गया है और अब उनकी जगह मऊ से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर चुनाव लड़ेंगे।

शुक्रवार की सुबह बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस आशय का लगातार तीन ट्विट किया। पहले ट्विट में उन्होंने लिखा- ‘बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए। इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है।‘

दरअसल विधानसभा चुनाव में मायावती अपनी पार्टी को भाजपा के मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने में लगी हैं और उन्हें पता है कि कानून-व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की सख्ती आम जनता को आकर्षित कर रही है। इसका अंदाजा मायावती के दूसरे ट्विट से लगता है। दूसरे ट्विट में वह लिखी हैं-‘जनता की कसौटी व उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो।‘

अपने तीसरे ट्विट में मायावती लिखती हैं-‘बीएसपी का संकल्प ’कानून द्वारा कानून का राज’ के साथ ही यूपी की तस्वीर को भी अब बदल देने का है ताकि प्रदेश व देश ही नहीं बल्कि बच्चा-बच्चा कहे कि सरकार हो तो बहनजी की ’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ जैसी तथा बीएसपी जो कहती है वह करके भी दिखाती है यही पार्टी की सही पहचान भी है।‘

मालूम हो कि मुख्तार अंसारी के विरुद्ध मायावती की यह तल्खी उनके सबसे बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी और भतीजे मन्नू अंसारी के सपा में जाने के बाद सामने आई है। इससे साफ कि सिबगतुल्लाह अंसारी के उस कदम से बसपा सुप्रीमो तिलमिला गई हैं जबकि यही मायावती हैं कि मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा कहती रही हैं। सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा ज्वाइन करने से कुछ ही दिन पहले की बात है। बसपा की बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र की अगुवाई में शुरू हुई प्रबुद्ध समाज की संगोष्ठी की श्रृंखला के क्रम में गाजीपुर में भी संगोष्ठी हुई थी। उसमें मुख्तार अंसारी के दूसरे बड़े भाई और पार्टी सांसद अफजाल अंसारी को खूब अहमियत दी गई थी। यहां तक कि सतीशचंद्र मिश्र ने अपने साथ आए बेटे कपिल मिश्र का अफजाल का ससम्मान परिचय कराया था और उसके बाद कपिल मिश्र ने लपक कर उनका चरणस्पर्श किया था।

हालांकि अंसारी परिवार को लेकर मायावती की इस गरम मिजाजी से राजनीतिक हलके में माना जा रहा है कि सांसद अफजाल अंसारी के भी बसपा में अब दिन पूरे हो चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा गठबंधन में मायावती ने सपा की ‘श्योर शॉट’ सीट गाजीपुर को अपने खाते में लेकर अफजाल को लड़ाई थीं। बल्कि अफजाल के लिए वह चुनावी सभा में सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी लेकर आईं थीं। उसका नतीजा भी सामने आया। भाजपा की लहर और गाजीपुर में अपने विकास कार्यों से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की लोकप्रियता के बावजूद उनसे सीधे मुकाबले में अफजाल अंसारी की शानदार जीत दर्ज हुई थी।

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