कोविड-19ब्रेकिंग न्यूजराजनीतिसख्शियत

…और हंसों का जोड़ा बिछड़ गया रे

सुजीत सिंह प्रिंस

…तेजू-काटू। गाजीपुर के लिए यह महज दो नामों का जोड़ नहीं रहा है। बल्कि दशकों तक दो शख्सियतों का जोड़ रहा है। दो मिजाजों का जोड़ रहा है। यह सह अस्तित्व के वर्चस्व की जोड़ी रही है। यह सच्ची यारी की मिसाल की जोड़ी रही है।

…और दोनों नाम एक दूसरे की पहचान रहे हैं।…कौन तेज बहादुर सिंह। अरे भाई! तेजू-काटू।…कौन रमाशंकर सिंह। हां भाई वही! काटू-तेजू। दोनों का जितना रौबदाब। उतने ही दोनों विनोदी। कोई तीसरा इनमें किसी एक से मिलता तो वह कोई ना कोई संदर्भ बनाकर दूसरे की चर्चा जरूर करता। दो लाइन की बात में चार बार दूसरे का नाम लेता। बतकही आगे बढ़ाने पर अपने मितान का कोई यादगार किस्सा भी सुनाता। खाने-खिलाने के दोनों शौकीन। जब एक के यहां मांसाहार पकता। तब दूसरे के यहां बाल्टी भर जाता।

दोनोंजनों का इलाका भी एक, सैदपुर। दोनोंजनों का बुनियादी धंधा-पानी भी एक, ठेका-पट्टा। दोनोंजनों को अलग से एक ही चस्का लगा, सियासत का। तब जाहिर है कि कई मौके आए। जब भीतरखाने टकराव की नौबत आई। तब तीसरे मजा लेना चाहे मगर आखिर में यारी ही भारी पड़ी। वह तीसरे भौंचक रह गए। खामखां! अपने लिए उन यारों की नाराजगी जो मोल ले बैठे।

अब इसी पंचायत चुनाव को लें। तेजू सिंह की भवह अंजना सिंह और काटू सिंह की पुत्रवधू सपना सिंह जिला पंचायत की सैदपुर प्रथम सीट पर आमने-सामने हैं। दोनों यारों ने एकदूसरे के विरोध में खुलकर और जमकर अभियान चलाया। दोनों को करीब से जानने वाले स्वजातीय किसी एक के पक्ष में खुद को खोलने से भरसक रोके। अपनी पालेबंदी उजागर न हो। वह दोनों यार तो बाद में एक हो जाएंगे। बीच में त्रिशंकु की तरह उन्हें लटक जाना पड़ेगा।

खैर। यह तो दो मई को पता चलेगा कि इस पंचायत चुनाव में तेजू जीते कि काटू के हाथ बाजी लगी लेकिन अफसोस कि इसके पहले ही नाशपिटा कोरोना तेजबहादुर सिंह को अपना शिकार बना दिया। शुक्रवार को वह इस दुनिया से चले गए।…हंसों का जोड़ा बिछड़ गया रे।

यह भी पढ़ें–पूर्व सांसद को भातृ शोक

आजकल समाचार’ की खबरों के लिए नोटिफिकेशन एलाऊ करें

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker