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विधायक सुभाष पासी ने सपाइयों को चौंकाया, पत्नी समेत भाजपा में शामिल

गाजीपुर। सैदपुर विधायक सुभाष पासी मंगलवार को सपा को चौंकाते हुए पत्नी रीना पासी समेत भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा प्रदेश मुख्यालय लखनऊ में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। उसके पूर्व श्री पासी की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में और लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुई थी। तय माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा श्री पासी को सैदपुर सीट से चुनाव लड़ाएगी। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है।

इस सीट से श्री पासी लगातार दो बार से सपा के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं। मूलतः गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के डिहियां गांव के रहने वाले श्री पासी का मुंबई में कारोबार है। पहली बार गाजीपुर के लोग उन्हें तब जाने थे जब 2007 में विधानसभा चुनाव तत्कालीन  सादात सुरक्षित सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़ने आए थे। कुल 23 हजार 874 वोट बटोर कर वह सबका ध्यान अपनी ओर खींचे थे। उसके बाद सपा के तत्कालीन दिग्गज रामकरन यादव दादा ने उनको न सिर्फ सपा से जोड़े बल्कि परिसीमन के बाद सादात सीट का वजूद खत्म होने पर 2012 के विधानसभा चुनाव में सैदपुर सीट से पार्टी का टिकट तक दिलवाए। तब श्री पासी 90 हजार 624 वोट पाकर पहली बार विधानसभा में पहुंचे। फिर 2017 के चुनाव में भी सपा उन पर दाव लगाई। हालांकि भाजपा की लहर में उनका वोट घटकर 76 हजार 664 पर आ गया। बावजूद वह दूसरी बार भी विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे।

सपा में सुभाष पासी का काफी मानजान था। वह पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाते थे। 2010 के पंचायत चुनाव में उनकी भवह गीता पासी को सपा जिला पंचायत चेयरमैन बनवाई थी। फिर उनकी पत्नी रीना पासी को पिछले ही माह सपा की महिला सभा के राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और जैसे ही सुभाष पासी के भाजपा में जाने की खबर आम हुई, वैसे ही सपा ने उन्हें पार्टी से बहरियाने का एलान कर दिया। सपा के अधिकृत ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी भी दी गई।

…तब निरहुआ बना सूत्रधार!

सुभास पासी ने अपने पाला बदलने की तैयारी को एकदम से गोपनीय रखा। यहां तक कि उन्होंने अपने अति करीबी सैदपुर क्षेत्र के सपाइयों को भी एक दिन पहले तक भनक नहीं लगने दी। बताते हैं कि भाजपा में जाने की उनकी पटकथा के सूत्रधार दिनेश लाल यादव निरहुआ हैं। इस बात को बल इससे भी मिलता है कि श्री पासी के भाजपा ज्वाइन करते वक्त निरहुआ भी मंच पर मौजूद थे। निरहुआ और सुभाष पासी के आपसी संबंध बहुत पहले से हैं। खुद श्री पासी ही बताते रहे हैं कि निरहुआ को भोजपुरी फिल्मों तक पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही है। निरहुआ भी मूलतः गाजीपुर के शादियाबाद क्षेत्र के रहने वाले हैं और लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा में शामिल होकर सपा मुखिया अखिलेश यादव के विरुद्ध आजमगढ़ से चुनाव लड़े थे।

एक जाति विशेष की पार्टी बन चुकी है सपाः सुभास पासी

भाजपा ज्वाइन करने से ठीक पहले विधायक सुभाष पासी ने एक प्रमुख अखबार के न्यूज पोर्टल से बातचीत में कहा कि सपा एक जाति विशेष की पार्टी बनकर रह गई है। उसके संगठन के स्तर पर पारदर्शिता का बेहद आभाव है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के इर्दगिर्द ऐसे लोगों का है जो पार्टी को गर्त में ले जा रहे हैं। सपा में अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं, नेताओं की एकदम अनदेखी की जा रही है। इस जाति के विधायकों तक कि पार्टी फोरम पर बात नहीं सुनी जा रही है।सैदपुर में भारी अंतर से जीतने के बाद भी सपा की 2012 में बनी सरकार के मंत्रिपरिषद में उनको जगह नहीं दी गई थी। इन हालातों में उनके लिए सपा छोड़ने का और कोई विकल्प नहीं बचा था।

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