खड़ी फसल सहित 12 बीघा खेत गंगा में समाहित

भांवरकोल (गाजीपुर)। गंगा में इस बार की भी बाढ़ तटवर्ती किसानों के वजूद मिटाने पर आमादा हो गई लगती है। तेज धारा में कटान का सिलसिला शुरू है। आलम यह है कि 24 घंटे के भीतर शेरपुर ग्राम पंचायत के छनबैया पुरवा के आस-पास करीब 12 बीघा खेत मय खड़ी फसल कट कर गंगा में समा चुका है। साथ ही पीपल सहित कई विशाल पेड़ भी धारा में बह गए।
किसानों की मानी जाए तो अकेले जलालपुर मौजे में ही डेढ़ दशक के भीतर करीब 500 एकड़ खेत का वजूद गंगा खत्म कर चुकी हैं। किसानों में इस भयावह स्थिति को लेकर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उदासीनता पर बेहद गुस्सा है। कई परिवार बेघर तक हो चुके हैं। सेमरा, पुरवा शिवराय आदि गांव की बड़ी आबादी कटान में अपना घर-दुआर गवां कर कहीं अन्यत्र जा चुकी है। कटान की दुश्वारियां लगभग हर साल लोग झेल रहे हैं।
हालांकि ऐसा भी नहीं कि प्रशासन को गंगा में इस तरह हो रही कटान का एहसास नहीं है। शनिवार को डीएम एमपी सिंह के आदेश पर अधिकारियों की एक टीम कटान स्थलों का जायजा लेने पहुंची थी। टीम घंटों रुक कर उन स्थलों का जायजा ली थी और कारणों को जानने की कोशिश भी की थी। टीम आखिर में इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कटान रोकने का कोई फौरी उपाय नहीं है और स्थाई निदान यही है कि कटान प्वाइंट पर गंगा में ड्रेजिंग कराई जाए। टीम में शामिल रहे बाढ़ (सिंचाई) विभाग के एक्सईएन आरपी चौधरी ने बताया कि दो-तीन दिन में कटान स्थलों का ड्रोन सर्वे कर प्रस्ताव मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा। टीम की अगुवाई एडीएम राजेश कुमरा कर रहे थे। इं. चौधरी ने माना कि मौके पर गंगा की धारा में काफी करेंट है और कटान का सिलसिला पानी घटने तक जारी रहेगा।