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प्रसव की पीड़ा सहकर लौटी शिक्षिका… पर बीईओ ने कहा – ‘छुट्टी चाहिए तो पैसे दो!’: गाजीपुर के करंडा ब्लॉक में शिक्षकों के सम्मान और संवेदना की खुलेआम हो रही नीलामी!

गाजीपुर। शिक्षा विभाग का एक जिम्मेदार अफसर—जिसे महिला शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करनी थी, वही अफसर आज उनके दर्द का सौदागर बना बैठा है। जनपद गाजीपुर के करंडा ब्लॉक में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) रविंद्र सिंह पटेल पर शिक्षकों, विशेषकर महिला शिक्षिकाओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने 15 मई को प्रदेश के महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, लखनऊ को सप्रमाण विस्तृत शिकायत भेजी है।


प्रसव के बाद भी छुट्टी के बदले ‘सहयोग’ मांगा गया!

एक शिक्षिका, जिसने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर बयान दिया, ने बताया:
“मैंने प्रसवकालीन अवकाश के लिए मेडिकल रिपोर्ट लगाई। लेकिन बीईओ साहब ने फोन कर कहा – ‘सीधा कहिए, बिना सहयोग के छुट्टी नहीं मिलेगी।' मेरे शरीर में टांके थे, मैं दर्द में थी, फिर भी रो पड़ी… लेकिन छुट्टी तब भी नहीं मिली!”
यह सिर्फ एक वाकया नहीं, बल्कि उस संवेदना की हत्या है जो किसी महिला के मातृत्व के सम्मान से जुड़ी होती है।


अवकाश पर रिश्वत, हाजिरी में फर्जीवाड़ा – 

शिकायत पत्र में कहा गया है कि बीईओ रविंद्र सिंह पटेल के कार्यालय में बिना रिश्वत के प्रसवकालीन, बाल्य देखभाल और आकस्मिक अवकाश मंजूर नहीं होते। यहां तक कि समय से स्कूल पहुंचने वाले शिक्षकों को भी जानबूझकर अनुपस्थित दिखाया जाता है।


महिला शिक्षिकाओं के साथ मानसिक उत्पीड़न – 

शिकायत में यह भी कहा गया है कि रविंद्र सिंह पटेल का व्यवहार महिला शिक्षिकाओं के प्रति अपमानजनक और तानाशाही है। कई बार उनकी मेडिकल रिपोर्ट और जरूरत को दरकिनार कर दिया गया, जिससे वे मानसिक तनाव और अपमान का शिकार हुईं।


रिटायरमेंट के बाद भी रिश्वत की मजबूरी – 

सेवानिवृत्त शिक्षकों की फाइलें, सेवा पुस्तिकाएं और पेंशन स्वीकृति तक, रिश्वत के बिना आगे नहीं बढ़ाई जातीं। शिकायत में दर्ज एक शिक्षक का बयान: “साहब कहते हैं – बिना कुछ दिए कोई फाइल नहीं चलेगी।” यह वाक्य गूंज नहीं, बल्कि शिक्षक समुदाय की बेबसी की चीख़ है।


प्रशासन मौन, शिक्षक क्रोधित – 

अब तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा:
“शिकायत प्राप्त होने पर जांच होगी।”
वहीं, रविंद्र सिंह पटेल ने फोन कॉल और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया।


महासंघ की मांग – निष्पक्ष जांच और तत्काल निलंबन – 

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह और जिला सह-संयोजक दिवाकर सिंह ने मांग की है कि

  • बीईओ को तत्काल पद से हटाया जाए
  • स्वतंत्र जांच समिति गठित हो
  • महिला शिक्षिकाओं की गुमनाम गवाही को न्यायिक प्रक्रिया में शामिल किया जाए

अब सवाल सिर्फ कार्रवाई का नहीं, संवेदना का है…

जब एक शिक्षिका प्रसव की पीड़ा सहकर अपने हक़ के लिए गिड़गिड़ाए और विभागीय अफसर पैसे मांगे, तो यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं – मानवता की कब्रगाह है।
क्या अब भी सरकार सोई रहेगी?
क्या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा, या एक नयी सुबह की शुरुआत होगी—जहां शिक्षक का सम्मान पैसे से न तोला जाएगा?

साभार – भड़ास मीडिया

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