…तब इस लिए नैनी जेल को अपने लिए सुरक्षित मान रहे मुख्तार!

गाजीपुर। विधायक मुख्तार अंसारी को लेकर चल रहे घटनाक्रमों के बीच नैनी जेल में निरुद्ध बसपा सांसद अतुल राय की आई चिट्ठी ने जहां पूरे मामले को और सनसनीखेज बना दिया है। वहीं इस चिट्ठी से कुछ कथ्यों की पुष्टि भी हुई है।
अव्वल तो यह कि अतुल राय और मुख्तार अंसारी के बीच दूरी बहुत आगे बढ़ चुकी है। बल्कि अतुल राय मुख्तार अंसारी से खुद की जान की सुरक्षा को लेकर सशंकित हो गए हैं। दूसरा यह कि पंजाब की जेल से अपनी शिफ्टिंग के बाद मुख्तार अंसारी यूपी की नैनी जेल को ही सुरक्षित मान रहे हैं।
बीते मंगलवार को एसएसपी प्रयागराज के नाम लिखी अपनी चिट्ठी में अतुल राय ने मुख्तार से अदावत के मूल में सियासत बताया है। अतुल राय के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी संसदीय क्षेत्र का प्रभारी घोषित की थी लेकिन पार्टी मुखिया मायावती ऐन चुनाव के वक्त अब्बास की जगह उन्हें घोसी सीट का उम्मीदवार बना दी। उसको लेकर खुन्नस में आए मुख्तार ने सोनभद्र की जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहे अपने गुर्गे अंगद राय के जरिये गहरी साजिश रची और ऐन चुनाव अभियान के दौरान ही उनको यौन शोषण के एक झूठे मामले में फंसा दिया। बावजूद वह घोसी सांसद चुने गए। इससे कमतर हुए खुद के सियासी रसूख और इधर पुलिस की विवेचित रिपोर्ट में बेपर्दा हुई यौन शोषण की उस झूठी कहानी से मुख्तार तथा उनके गुर्गे एकदम से बौखलाहट में हैं और उन्हें रास्ते से हटाने के लिए वह सब किसी भी हद तक जा सकते हैं।
इधर अंडरवर्ल्ड की मानी जाए तो मुख्तार का खुद के लिए नैनी जेल को सुरक्षित मानने के पीछे वहां करवरिया बंधुओं की मौजूदगी और हाई तकनीकी सुरक्षात्मक इंतजाम की उपलब्धता है। मालूम हो कि प्रयागराज शहर में 13 अगस्त 1996 को सरेशाम लबे सड़क हुए तत्कालीन सपा विधायक जवाहर यादव पंडित की हत्या के मामले में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया और उनके भाई द्वय उदयभान तथा सूरजभान करवरिया नैनी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हालांकि उस बहुचर्चित हत्याकांड की लिखा-पढ़ी में आई पूरी कहानी करवरिया बंधुओं के ही इर्द-गिर्द रह गई थी लेकिन तब अंडरवर्ल्ड मे यह बात आई थी कि उस दुस्साहसिक वारदात में मुख्तार अंसारी के `सीनियर` रहे बंशी-पांचू की भूमिका बिल्कुल फ्रंट लाइन तक थी। यह भी कि करवरियां बंधुओं के पिता वशिष्ठ नारायण उर्फ भुक्खल महाराज के मुख्तार से ताल्लुकात थे और कभी गाजीपुर जेल में निरुद्ध रहे मुख्तार से मिलने वह आते भी थे।
खैर अतुल राय की चिट्ठी से यह भी साफ होता है कि बसपा मुखिया मायावती के दरबार में मुख्तार से अतुल राय भारी हैं। मायावती के मिजाज पर नजर रखने वालों की मानी जाए तो अपने ही पार्टी सांसद का अपने ही विधायक पर इस तरह संगीन आरोप लगाने के बावजूद मायावती की चुप्पी उनके दरबार में अतुल राय के कद की ओर संकेत भी करती है। इस संकेत को ऐसे भी समझा जा सकता है कि जब ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त अतुल राय कथित यौन शोषण के आरोपों में घिरे तब बिना देर किए मायावती उनके बचाव में न सिर्फ खुल कर सामने आ गई थीं। बल्कि उनके समर्थन में मऊ पहुंचकर चुनावी सभा तक की थीं।