सब को देखता है कवि: प्रो. यादव

गाजीपुर। राधिका माध्यमिक विद्यालय में जीवनोदय शिक्षा समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रो. चंद्रदेव यादव के काव्य संग्रह ‘गांवनामा' और ‘पिता का शोकगीत' काव्य संग्रह पर समीक्षात्मक परिचर्चा हुई।
प्रो. चंद्रदेव यादव ने कहा कि कवि की दृष्टि सर्वव्यापी होती है। वह सबको देखता है और एक कवि के रूप में उन्होंने स्वंय अपनी कविताओं में गांव की तरह सहजता बनाए रखने का प्रयास किया है। दिल्ली में रहते हुए भी उनमें गांव की अनुभूति सदैव बनी रही। उसी का प्रतिफल उनके ‘गांवनामा' और ‘पिता का शोकगीत' काव्य संग्रह हैं।
परिचर्चा में विस्तार से समीक्षा करते हुए युवा समीक्षक माधव कृष्ण ने कहा कि प्रो. यादव की कविताओं में गांधी का समावेशित आग्रह है। वर्गों का विभाजन कवि को खटकता है। डॉ. हिंदी विभाग सुदृष्टि बाबा महाविद्यालय बलिया के संतोष सिंह ने कहा कि प्रो. यादव की कविताओं में रागात्मक लगाव और राजनीतिक विसंगतियों की सूक्ष्म पहचान है। लोक भाषा के विद्वान डॉ. रामनारायण तिवारी ने कहा कि आज गांव की समीक्षा शहरी शास्त्रीय दृष्टि से हो रही है लेकिन प्रो. चंद्रदेव यादव की कविता गांव की शर्तों की कविता है। लोक तत्व की जड़ें इनमें मजबूत हैं।
प्रख्यात समीक्षक डॉ. रामप्रकाश कुशवाहा ने कहा कि प्रो. चंद्रदेव यादव ने गांव को संत की तरह जिया है। निःसंदेह इनका गांव से रिश्ता आभासी नहीं बल्कि वास्तविक है। उनके बिंब सामर्थ्यवान हैं। कविताओं में बौद्धिक पहलवानी की परिकल्पना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पीजी कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत पांडेय ने कहा कि कविताओं में पाठक से तादात्म्यबोध की जबरदस्त क्षमता है। इसके पूर्व दीप प्रज्ज्वलन एवं अतिथियों का स्वागत तथा पुस्तक लोकार्पण का कार्य संपन्न हुआ। उपस्थित प्रमुख लोगों में डॉ. अमित कुमार यादव, डॉ. शिवकुमार, डॉ. संतन कुमार, डॉ. विशाल सिंह, डॉ. विनय चौहान, डॉ. सतीश राय, डॉ. नरनारायण राय, डॉ. कृष्णानंद चतुर्वेदी, डॉ. उमा निवास मिश्र आदि थे। संचालन डॉ. प्रमोद कुमार अनंग ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन राकेश पांडेय ने किया।