झूठी शान और फिजूलखर्ची में जेल पहुंच गया शकील हैदर

गाजीपुर। झूठी शान के लिए फिजूलखर्ची। फिजूलखर्ची के लिए कर्जखोरी। कर्जखोरी के लिए धोखाधड़ी और धोखाधड़ी का नतीजा जेल। यह किस्सा है थाना नोनहरा के हुड़रही गांव के रहने वाले शकील हैदर का। लखनऊ पुलिस शनिवार की रात उसे गिरफ्तार की।
इसकी यह गिरफ्तारी लखनऊ के थाना वजीरगंज में करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के दर्ज मामलों में हुई। आरोप है कि शकील ने कुछ ही साल पहले लखनऊ के जेहटा बरावन कलां में कुल पांच बीघा भूखंड में 70 प्लॉट की कॉलोनी डेवलप की। फिर दूसरों को बैनामा के बाद उन प्लॉटों को गिरवी रख अपने नाम पर करोड़ों रुपये का बैंक से कर्ज लिया। इस धोखाधड़ी के लिए उसने बैंक के तत्कालीन अधिकारियों से रिश्तेदारी और ‘शुभ-लाभ’ की नातेदारी जोड़ी।
प्लॉट होल्डरों को इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो उनका माथा ठनका। वह इस मामले को पुलिस तक पहुंचाए। पुलिसिया जांच में इसकी पुष्टि के बाद वजीरगंज थाने में अलग-अलग चार मामले दर्ज कर शकील की तलाश शुरू हुई।
शकील को करीब से जानने वालों का कहना है कि वह झूठी शान में जीने वाला शख्स है। उस शान में उसे फिजूलखर्च से भी परहेज नहीं था। नोट उसके लिए कागज के टुकड़े की तरह थे। सौ की जगह हजार खर्च करने की आदत उसकी रोजमर्रा में शुमार थी। वह चेनस्मोकर था। गोल्ड फ्लैक से लगायत और भी महंगे ब्रांड की सिगरेट उसकी पसंदीदा रही है। वह महंगी लग्जरी गाड़ियों का भी शौकीन रहा है। उसके गाड़ियों के बेड़े में इंडिवर स्पोर्टस तक है। बड़े-बड़े खासकर सत्ता में प्रभावी नेताओं के करीब रहना भी उसका शगल रहा है। डेढ़ दशक पहले तक गाजीपुर में उसकी पहचान एक मामूली ठेकेदार के रूप में थी। जिला पंचायत से उसने ठेकेदारी शुरू की थी। सबसे पहले वह हम मजहब के नाते मऊ विधायक मुख्तार अंसारी को पकड़ा। उसके बाद पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह से सट गया। तब उसकी उस मौका परस्ती से मुख्तार एंड कंपनी एकदम से चिढ़ गई थी। एक बार की बात है। मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी बीमार थे और लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल में दाखिल थे। शकील उन्हें देखने पहुंचा था। वापसी में मुख्तार के एक बंदे ने उसको जमकर धुन दिया था। फिर जब शादाब फातमा प्रदेश की तत्कालीन सरकार में मंत्री बनी थीं तब शकील हैदर उनके भी करीब पहुंच गया था। जाहिर है कि इन नेताओं की पहुंच और प्रभाव के बूते कुछ साल में ही लंबा खिलाड़ी बन गया और उस खेल में शकील हैदर पर बैंकों का लंबा कर्ज भी चढ़ता गया। शायद उसके लिए अपने खेल में गाजीपुर छोटा पड़ने लगा और लखनऊ में ठाकुरगंज शीशमहल इलाके में जा बसा। शकील हैदर की चर्चा पर कुछ लोग तो उस पर बैंक के कर्ज की रकम अरबों तक खींच ले जाते हैं।
…और भी कई मामले दर्ज
लखनऊ के ही ठाकुरगंज थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। वह मामला लखनऊ के सआदतगंज निवासी चीनू गुप्ता ने दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि शकील ने बरावन कला में जमीन देने का भरोसा देकर उनसे पूरे 31 लाख रुपये हड़प लिये। फिर अमेठी में सड़क के ठेके में बगैर निर्माण ही करोड़ों रुपये का भुगतान हासिल करने का मामला दर्ज है। उस मामले की विवेचना आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने की थी और उसके विरुद्ध गैर जमानती वारंट भी जारी करा चुकी है।
धरम-करम में भी खुले हाथ खर्च करता
शकील हैदर जहां अपनी फितरत से रुपये कमाता रहा वहीं धरम-करम में भी बेहिचक खर्च करता। वह शिया मुसलमान है। साल के शेष दिनों में जहां रहे मगर मुहर्रम में वह अपने गांव हुड़रही आना नहीं भूलता। मुहर्रम की नौवीं तारीख को वह मजलिस कराता है। उस मजलिस में हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। उनके लिए अपनी ओर से भोजन-भात का इंतजाम कराता है। मजलिस के लिए आलीशान इमामबाड़ा भी बनवाया है। उसके निर्माण में करोड़ों की लागत आई है। उसका नाम ‘बाबे बाबुल’ रखा है। शिया समुदाय की मानी जाए तो ऐसा आलीशान, खूबसूरत इमामबाड़ा कम से कम पूर्वांचल में तो और कहीं नहीं है। वह मौके बेमौके जब भी गांव आता तब लाखों रुपये खैरात में बांटता।