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करइल के किसानों की समस्या पर मंत्रीजी भी ‘गोल-गोल’ ही बतियाए

गाजीपुर। अब यह लगभग साफ हो चुका है कि मुहम्मदाबाद तहसील स्थित गड़हा परगना में मछली माफियाओं का दंश झेल रहे किसानों के लिए ओहदेदार भाजपा नेताओं के दिल में कोई हमदर्दी नहीं है।

मछली माफियाओं की ओर से जबरिया मगई नदी के रोके गए पानी में हजारों एकड़ खेत डूबे हैं। खरीफ की फसल मारी जा चुकी है। रबी की खेती पर भी संकट खड़ा हो गया है। इस मुद्दे को लेकर भाजपा समर्थक किसान पार्टी के झंडे-डंडे लेकर आंदोलनरत हैं। वरिष्ठ नेता राजेश राय बागी लट्ठूडीह में तीन दिन से बेमियादी अनशन पर बैठे हैं। उनके समर्थन में हर रोज इलाके के सैकड़ों किसान अनशन स्थल पर पहुंच रहे हैं लेकिन भाजपा के जिम्मेदार, ओहदेदार नेता वहां झांकना तो दूर उनके लिए चूभने वाले बयान देने में भी हिचक नहीं रहे हैं।

गुरुवार को इस बाबत सवाल पर इलाकाई विधायक अलका राय के लायक बेटे पीयूष राय का बेरुखा जवाब मिला ही था कि शनिवार को प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी अपने गृह जिला बलिया से उसी रास्ते आए लेकिन अनशन स्थल पर रुकने, अनशनकारी सहित वहां मौजूद किसानों से मिलने तक की जरूरत नहीं समझे। बल्कि जिला मुख्यालय पर मीडिया से बातचीत में इस प्रसंग पर वह ‘गोल-गोल’ घुमाने में ही लगे रहे। रिकार्ड बारिश…जल मंत्री…इलाकाई सांसद…बड़ी परियोजना…जल संचय वगैरह बतियाए लेकिन फौरी राहत और मछली माफिया पर अंकुश के बाबत वह कुछ नहीं बोले। किसानों के आंदोलन के सवाल पर तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि आंदोलनकारी भाजपा के असल नहीं हैं। भाजपा के हमशक्ल बनकर वह सब ऐसा कर रहे हैं। यह बताने पर कि अनशनकारी राजेश राय बागी तो भाजपा के ही हैं। तब मंत्रीजी अपनी बात लपेटने के अंदाज में कहे-राजेश राय हमारे मित्र हैं…हम उन्हें फोन कर मना लेंगे।

यह भी कम हैरानी नहीं थी कि उस मौके पर मुहम्मदाबाद विधायक अलका राय मंत्री के बगल में बैठकर सबकुछ सुन रहीं थीं लेकिन वह अपना मुंह खोलने की जहमत भी नहीं उठाईं जबकि इस मामले पर पहली जवाबदेयी उन्हीं की बनती है।

…पर कार्रवाई में दोहरी नीति!

मछली के लिए मगई नदी का पानी जबरिया रोकने का काम पहले भी होता रहा है। कभी यह काम मुख्तार अंसारी का करीबी महेंद गांव का नन्हें खां करता था लेकिन योगी सरकार के ही काल में उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई हुई। वह दो बार जेल भेजा गया। उसका साम्राज्य ढहने के बाद इस कृत्य में दूसरे आ गए हैं। वह कौन लोग हैं। इसका जवाब गड़हा परगना के किसान दबी जुबान ही देते हैं। यही कि वह लोग बलिया के हैं। एक मंत्रीजी का उन्हें पूरा संरक्षण हासिल है। यही वजह है कि प्रशासन भी उनके विरुद्ध कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।

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