पंचायत चुनावः अब फिर से शुरू होगी आरक्षण प्रक्रिया

गाजीपुर। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच सोमवार को अपना फैसला सुना दी। उसके मुताबिक वर्ष 2015 को आधार मानते हुए सीटों का आरक्षण होगा। आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर 27 मार्च तक अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी जबकि 25 मई तक पंचायत चुनाव संपन्न करा दिया जाएगा।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का यह फैसला न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व मनीष माथुर की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण का मूल वर्ष 1995 माना गया है जबकि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी कर वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण हुआ था और उसी आधार पर चुनाव कराया गया था। उस शासनादेश में स्पष्ट कहा गया था कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी संख्या में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है। लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा। बावजूद उस शासनादेश को नजरअंदाज कर 11 फरवरी 2021 को नया शासनादेश लागू किया गया और उसमें 1995 को ही मूल वर्ष माना गया।
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार स्वयं 2015 को आधार वर्ष मानकर त्रिस्तरीय चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए तत्पर है। सरकार के वकील राघवेंद्र सिंह ने माना कि सरकार से आरक्षण प्रक्रिया लागू करने में गलती हुई है।
सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व मनीष माथुर की खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाया। जाहिर है कि इस फैसले के बाद अब योगी सरकार 2015 को मूल वर्ष मानकर नए सिरे से पंचायतों की सीटों की नए सिरे से आरक्षण कर संशोधित सूची जारी करेगी। इसको लेकर इधर पंचायतों में संभावित उम्ममीदवारों का प्रचार अभियान थम गया है। पंचायती राज विभाग का कहना है कि हाईकोर्ट के आए फैसले के आलोक में शासन के आदेश का इंतजार है।