करंडा बीडीओ प्रकरणः ब्लॉक प्रमुखों की बेजा पैरवी का लोड नहीं लिए भाजपा एमएलसी!

गाजीपुर। भाजपा एमएलसी विशाल सिंह चंचल ने ब्लॉक प्रमुखों की बेजा पैरवी नहीं सुनी। यह पैरवी करंडा बीडीओ पर हमले के मामले को लेकर थी।
दरअसल उस मामले में करंडा ब्लॉक प्रमुख आशीष यादव के विरुद्ध भी करंडा थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। उसी सिलसिले में बीते 27 जून को ब्लॉक प्रमुख संघ का प्रतिनिधिमंडल निवर्तमान पुलिस कप्तान रामबदन सिंह से मिलने पहुंचा मगर पुलिस कप्तान उल्टे उन्हें ही खरी-खोटी सुनाने लगे। बल्कि खुद को तेज मान रहे एक-दो ब्लॉक प्रमुख को पुलिस कप्तान पुलिसिया लहजे में समझाकर अपने चेंबर से बहरिया भी दिए। उसके बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल अन्य ब्लाक प्रमुख भी खुद को अपमानित महसूस कर वहां से लौट गए और भाजपा एमएलसी विशाल सिंह चंचल से संपर्क कर पुलिस कप्तान रामबदन सिंह को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करवाने को कहे। सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा एमएलसी उन्हें आश्वस्त करने के बजाए यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिए कि आखिर उन लोगों को पुलिस कप्तान के पास जाने की जरूरत ही क्या थी।
यह तो नहीं पता कि भाजपा एमएलसी के उस दो टूक कथन का असर ब्लॉक प्रमुख संघ के लोगों पर क्या पड़ा मगर संभव हो कि भाजपा एमएलसी को मुख्यमंत्री की वह नसीहत याद आई हो, जिसमें विधायकों से सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग में पैरवी से खुद को दूर रखने को कहा गया है। तभी भाजपा एमएलसी ने ब्लॉक प्रमुखों का लोड लेने की जरूरत नहीं समझी हो।
हालांकि इसी बीच शासन ने रुटीन के तहत दो जुलाई को पुलिस कप्तान रामबदन सिंह को स्थानांतरित कर प्रदेश के अहम जिला गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नरेट का उपायुक्त बना दिया है और उधर करंडा ब्लॉक प्रमुख के चचेरे भाई तथा निजी गनर जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं।
…और यह है करंडा बीडीओ प्रकरण
करंडा बीडीओ अनिल श्रीवास्तव पर बीते 26 मई की रात करीब पौने दस बजे हथियारबंद लोगों ने हमला किया था और हमलावर जाते वक्त उन्हें जान से मारने की धमकी भी दे गए थे। हमले की घटना के वक्त बीडीओ करंडा भोजन के बाद टहलने निकले थे। वह घटना बेजा भुगतान को लेकर बीडीओ करंडा और ब्लॉक प्रमुख के बीच चल रहे विवाद का नतीजा बताई गई थी। उस मामले में करंडा बीडीओ ने करंडा थाने में अज्ञात के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई। विवेचना के बाद पुलिस उस मामले में आईपीसी की धारा 307 तथा 120 जोड़ने के साथ ही करंडा ब्लॉक प्रमुख आशीष यादव के चचेरे भाई राहुल यादव तथा निजी गनर सुरेश चंद्र तिवारी को जेल भेज दी। उसी बीच अभियुक्तों के पक्ष से अपनी पेशबंदी में पुलिस को बीडीओ करंडा के हस्ताक्षर से शपथ पत्र सौंपा गया। उसमें बीडीओ करंडा की ओर से कहा गया था कि उन पर हमले में ब्लॉक प्रमुख के चचेरे भाई राहुल यादव और निजी गनर सुरेश चंद्र तिवारी शामिल नहीं थे। उसके बाद उस शपथ पत्र की हकीकत पुलिस के सामने आई। यही कि बीडीओ करंडा को डरा-धमका कर करंडा ब्लॉक प्रमुख आशीष यादव ने जबरिया सादे स्टांप पेपर पर दस्तखत कराए और उस पर अपने लोगों के बचाव का मजमून लिखकर पुलिस को सौंपा। तब पुलिस इस मामले में बीडीओ करंडा की तहरीर पर 24 जून को एक और एफआईआर दर्ज की। उसमें करंडा ब्लॉक प्रमुख आशीष यादव तथा उनके सहयोगी संतोष यादव को नामजद की। उसमें आईपीसी की धारा 327, 420, 467 तथा 468 अंकित की गई।