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वाकई! अपनों ने ही डुबाई सपा की लुटिया

गाजीपुर। जिला पंचायत चेयरमैन चुनाव में तैयारी, तरकीब, तिकड़म में भाजपा अपनी प्रतिद्वंद्वी सपा पर बीस पड़ी और भाजपा की ऐतिहासिक शानदार जीत में रही सही कसर सपा के जिला नेतृत्व समूह के अनचाहे, अनकहे, अविश्वास, अमान्य के दंश से पूरी हो गई।

जिला पंचायत में ताकत के लिहाज से भाजपा लघु से दीर्घ और सपा दीर्घ से लघु बन गई। जिला पंचायत के कुल 67 सदस्यों के चुनाव में भाजपा के मात्र छह जीते जबकि सपा से जुड़े पहली बार सर्वाधिक 25 सदस्य जिला पंचायत में पहुंचे लेकिन चेयरमैन चुनाव में पूरे 47 सदस्यों के वोट भाजपा के खाते में गए और सपा मात्र 20 वोट पर सिमट कर रह गई।

भाजपा इस चुनाव में सपना सिंह पर दाव लगाई थी। सैदपुर प्रथम सीट से निर्दल जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के साथ ही सपना सिंह चेयरमैन चुनाव में उतरने के लिए पूरी दामदारी से जुट गईं थीं। संभवतः उनकी इसी दामदारी को देख, समझ भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने अपने जिला नेतृत्व की ओर से प्रस्तावित डॉ.वंदना यादव के नाम को खारिज कर सपना सिंह पर दाव लगाने का फैसला किया और सपना सिंह की दामदारी का ही नतीजा रहा कि भाजपा से बिल्कुल नफरत करने वाली कौम से लगायत आजीवन समाजवादी झंडा थामने का दंभ भरने वाले सदस्य तक उसके खेमे में एक-एक कर आते चले गए। फिर बसपा और निर्दल भी भाजपा से जुड़ते गए।

उधर सपा का जिला नेतृत्व समूह कुसुमलता यादव की उम्मीदवारी की घोषणा की औपचारिकता पूरी कर अपना फर्ज पूरा मान बैठा रहा। कोई पदाधिकारी और बड़े नेता ने पार्टी उम्मीदवार को वोट के लिए किसी सदस्य से संपर्क करना और कहना तक जरूरी नहीं समझा। उनके इस रवैये को लेकर कार्यकर्ताओं, समर्थकों में प्रतिक्रिया शुरू हुई। सोशल मीडिया के जरिये उन पर गुस्सा उतरने लगा। बात शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची। सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिला संगठन सहित सभी बड़े नेताओं और पार्टी से जुड़े नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को लखनऊ तलब कर झिड़का, पुचकारा और एकजुट होकर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का निर्देश देकर लौटाया।

बावजूद सपा के जिला संगठन और बड़े नेताओं में कोई सुधार नहीं हुआ। लखनऊ से लौटने के बाद दिखावे के लिए पार्टी कार्यालय लोहिया भवन में बैठक आहूत हुई। उस बैठक में एक ओहदेदार नेताजी ने तो हद ही कर दी। टीवी चैनल के मशहूर पत्रकार रजत शर्मा के लोकप्रिय कार्यक्रम आपकी अदालत की तर्ज पर सदस्यों को ही सवालों के कठघरे में खड़ा कर उनकी सरेआम तौहीनी पर आमादा हो गए थे। उस बैठक का नतीजा यही सामने आया कि जिला नेतृत्व समूह और बड़े नेताओं के रवैये से खुद को अपमानित महसूस कर सदस्य रेखा भट्ट पति संग भाजपा में शामिल हो गईं।

पार्टी सदस्य अपने जिला नेतृत्व और बड़े नेताओं के बेमानी रवैये को लेकर बेहद क्षुब्ध हैं। वोट देने के बाद सरजू पांडेय पार्क में वह अपना यह क्षोभ सार्वजनिक तौर पर जताने से भी नहीं हिचके। इस मौके पर पार्टी उम्मीदवार कुसुमलता यादव के प्रस्तावक रहे कमलेश यादव ने तो यहां तक कहा कि पार्टी की हार के लिए जिला संगठन और बड़े नेता जिम्मेदार माने जाएंगे। जिला पंचायत में जनादेश सपा के लिए था। उसके विपरीत पार्टी जिला संगठन, नेताओं का रवैया रहा। इसका खामियाजा उन्हें विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

पार्टी कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि यह नतीजा पहले से ही संगठन और बड़े नेताओं ने‘फिक्स’कर दिया था। यही वजह रही कि जिला पंचायत सदस्य चुनाव के वक्त निवर्तमान चेयरमैन आशा यादव तथा पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह की पत्नी अंजना सिंह को जिला नेतृत्व अपने स्तर से टिकट नहीं दिया था जबकि यह दोनों पार्टी नेत्रियां चेयरमैन की दावेदार मानी जा रही थीं।

अब देखना है कि लगातार ढाई दशक जिला पंचायत चेयरमैन की कुर्सी काबिज रही पार्टी की इस तरह बेदखली पर शीर्ष नेतृत्व की क्या प्रतिक्रिया आती है। वैसे चुनाव नतीजा आने के बाद सपा कार्यकर्ता सोशल मीडिया के जरिये पार्टी जिला संगठन और बड़े नेताओं पर अपना गुस्सा उतारना शुरू कर दिए हैं।

यह भी पढ़ें–जिला पंचायतः भाजपा की सपना सिंह निर्वाचित

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