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मेराज की मौत मुन्ना बजरंगी के कत्ल का बदला!

गाजीपुर। प्रदेश के चित्रकूट जेल में शुक्रवार की सुबह हुए सनसनीखेज शूट आउट में मारा गया मेराजुद्दीन खां उर्फ भाई मेराज मूलतः गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर थाने के महेंद गांव में बिचली पट्टी का रहने वाला था और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का करीबी था। अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोगों की मानी जाए तो मेराज का मौत माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी के कत्ल के बदले का नतीजा है।

चित्रकूट जेल का यह है घटनाक्रम

चित्रकूट जेल में सुबह परेड के बाद करीब दस बजे बंदी पश्चिमी यूपी के गैंगेस्टर अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु ने मेराज और पश्चिमी यूपी के ही गैंगस्टर मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। उसके बाद उसने पांच अन्य कैदियों को बंधक बना लिया लेकिन पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कुछ ही देर बाद वह खुद ही ढेर कर दिया गया। मुकीम काला शामली जिले के जहानपुरा थाना कैराना का रहने वाला था। यूपी के पश्चिमी जिलों के अलावा हरियाण सहित उत्तराखंड में भी उसका खासा टेरर था। वह जरायम की दुनिया में कदम रखने से पहले राजमिस्त्री था जबकि अंशुल दीक्षित सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का रहने वाला था।

मेराज कभी मुन्ना बजरंगी का था खास

मेराज किसी वक्त में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी से सीधे जुड़ा था। बताते हैं कि मुन्ना बजरंगी की काली कमाई का प्रबंधन संभालता था लेकिन जब मुन्ना बजरंगी की नौ जुलाई 2018 को बागपत जेल में हत्या हो गई तब मेराज पलटी मार लिया था। बल्कि माउथ मीडिया के जरिये अंडरवर्ल्ड में वह खुद यह बात फैलाया था कि मुन्ना बजरंगी की हत्या उसने ही कराई थी। तब यह भी बात आई कि मेराज मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद उसके करोड़ों के लेनदेन का हिसाब भी दबा दिया था। पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोगों का कहना है कि मेराज का इस तरह पलटी मारना और अपने डॉन की मौत को लेकर बड़बोलापन से मुन्ना बजरंगी के गुर्गे चिढ़ गए थे। चित्रकूट जेल शूट आउट में पुलिस के हाथों मारा गया गैंगस्टर अंशु दीक्षित भी कभी मुन्ना बजरंगी के लिए काम करता था और मौका निकाल कर उसने मेराज का ‘गेम बजा’ दिया। यह काम भी ठीक वैसे ही हुआ,जैसे मुन्ना बजरंगी का हुआ था।. हालांकि चित्रकूट जेल की घटना के बाद मीडिया में आई शुरुआती खबर के मुताबिक अंशु दीक्षित के टारगेट पर गैंगस्टर मुकीम काला था। मेराज भी मुकीम काला के साथ उसी की बैरक में रहता था। वैसे हकीकत पुलिस की विवेचना में ही सामने आएगी। रही बात मुख्तार अंसारी से मेराज के ताल्लुकात की तो वह मुख्तार के ही गृह जिला गाजीपुर का था और 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार जब वाराणसी सीट से चुनाव लड़े थे तब वह उनके अभियान में पूरे तन मन धन से लगा था।

वाराणसी पुलिस की थी मेराज को गिरफ्तार

फर्जी दस्तावेज के आधार पर शस्त्रों के नवीनीकरण के मामले में वाराणसी की जैतपुरा पुलिस पिछले साल सितंबर में उसी इलाके के नक्खीघाट से गिरफ्तार की थी। उसके बाद वाराणसी की चौकाघाट जेल में वह रखा गया लेकिन प्रशासनिक आधार पर उसको इसी साल मार्च में चित्रकूट जेल भेजा गया था। मेराज का पूरा परिवार वाराणसी में रहता है। महेंद गांव स्थित उसके पुश्तैनी मकान में ताला लटका है। मेराज के पिता स्व. जलालुद्दीन खां पुलिस विभाग में थे। मेराज के सबसे बड़े भाई निजामुद्दीन भी पुलिस और दूसरे बड़े भाई अब्दुल कलाम रेलवे से रिटायर हैं। तीसरे बड़े भाई अब्दुल सलाम भी पुलिस इंस्पेक्टर रहे हैं जबकि पांचवां और सबसे छोटा भाई सेराज खां पुलिस विभाग में सेवारत है। महेंद के लोग भाई मेराज की मौत पर खुल कर कुछ नहीं बोल रहे हैं लेकिन दबी जुबान वह इसे बड़ी साजिश का नतीजा बता रहे हैं।

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