सपाः दिग्गज तक अपने टिकट को लेकर आश्वस्त नहीं

गाजीपुर। यह तय माना जा रहा है कि सपा नेतृत्व को भी विधानसभा सीटों के अपने उम्मीदवारों की घोषणा के लिए निर्वाचन आयोग की अधिसूचना का इंतजार है लेकिन गाजीपुर में
सीटों के लगभग हर दावेदार लखनऊ का फेरा बारबार लगा रहा है। लखनऊ में वह पार्टी मुख्यालय में अपनी हाजिरी लगाने के साथ ही बड़े नेताओं की परिक्रमा भी कर रहे हैं लेकिन यह पहला मौका है कि अभी तक किसी दावेदार को प्रदेश नेतृत्व की ओर से यह कह कर लौटाया नहीं गया है कि वह अपने क्षेत्र में पहुंच कर चुनाव की तैयारी करे।
हर दावेदार की कोशिश यह भी है कि पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से उनकी कुछ पल के लिए ही सही अकेले में मुलाकात हो जाए लेकिन अब तक कि खबर के मुताबिक इसमें किसी का कोई जुगाड़ बैठ नहीं पाया है। मतलब टिकट के दावेदारों के लिए सब कुछ अनिश्चित है। यहां तक कि पार्टी के जंगीपुर विधायक डॉ.वीरेंद्र यादव, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह, पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी, पार्टी के प्रदेश सचिव राजेश कुशवाहा सरीखे बड़े नेता भी अपने टिकट को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। हालांकि पार्टी नेतृत्व की गतिविधियों पर नजर रखने वालों की मानी जाए तो पार्टी मुखिया इस बार अपनी सरकार बनाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। इस दशा में वह गाजीपुर की सभी सातों सीट पर अपने उम्मीदवारों की पक्की जीत चाहते हैं। इसके लिए वह विभिन्न श्रोतों से सभी सीटों के समीकरण का आकलन कर चुके हैं और उसी हिसाब से टिकट का बंटवारा भी करेंगे।
…पर महेंद्र चौहान को अहमियत
गाजीपुर की कुछ विधानसभा सीट खासकर सदर के टिकट के लिए ऐसों ने भी दावेदारी की है, जिन्हें पार्टी मुखिया अखिलेश यादव सकलन पहचानते तक नहीं लेकिन जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र के पार्टी नेता महेंद्र चौहान को इधर वह कुछ ज्यादा ही तरजीह दे रहे हैं। बीते 17 नवंबर को फखनपुरा से आजमगढ़ जाते वक्त भी अखिलेश यादव अपने विजय रथ पर महेंद्र चौहान को नाम लेकर बुलाए थे। फिर पार्टी प्रदेश मुख्यालय में भी सामने पड़ने पर महेंद्र चौहान से वह उनका नाम लेकर होलो-हाय करना नहीं भूल रहे हैं। 2017 के चुनाव में अपनी मंत्रिपरिषद की सदस्य रहीं शादाब फातमा का टिकट काटकर उन्होंने जहूराबाद सीट से महेंद्र चौहान को टिकट भी दिया था। पार्टी में भितरघात और भाजपा की लहर के बावजूद महेंद्र चौहान कुल 64 हजार 574 वोट बटोरे थे। वैसे सपा के कुछ लोग पार्टी मुखिया की ओर से महेंद्र चौहान को कुछ ज्यादा अहमियत मिलने को अपने नजरिये से देख रहे हैं। इनका कहना है कि दरअसल जहूराबाद सीट समझौते में सुभासपा को देनी है। उस दशा में महेंद्र चौहान बगावती तेवर न धर लें। इस आशंका से वह इनको पुचकार कर शांत रखना चाहते हैं। शक नहीं कि पार्टी मुखिया अखिलेश यादव को याद है कि जहूराबाद सीट पर चौहान बिरादरी के नेता की बगावत मंहगी पड़ती है। 2007 के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार डॉ.सानंद सिंह की जीत लगभग पक्की मानी जा रही थी लेकिन बगावत कर शिवपूजन चौहान उनके विरुद्ध ताल ठोक दिए थे। नतीजा यही हुआ था कि कांटे के संघर्ष में फंसे दिख रहे बसपा के कालीचरण राजभर 22 हजार 100 वोट के फासले से जीत गए थे जबकि शिवपूजन चौहान कुल 20 हजार 982 वोट काट कर सपा उम्मीदवार डॉ.सानंद सिंह को दूसरे स्थान पर रहने को मजबूर कर दिए थे।