लॉकडाउन में नौकरी छुटी तो शातिर दिमाग ने ढूंढ लिया नजायज कमाई का जरिया

गाजीपुर। कहते हैं खाली दिमाग शैतान का घर होता है। सोनभद्र के पिपरी थानांतर्गत वर्कर कॉलोनी रेनुकोट के युवक अनुराग वर्मा के साथ भी यही हुआ।
अनुराग ट्रक का खलासी था मगर कोविड-19 को लेकर लॉकडाउन में नौकरी चली गई। वह घर बैठ गया। फिर उसका शातिर दिमाग चला। उसने मोटी कमाई का अनोखी और नाजायज तरकीब ढूंढ ली। हर रोज हजारों की कमाई करने लगा लेकिन आखिर में उसकी पोल खुल गई और मंगलवार की सुबह गाजीपुर की नोनहरा पुलिस के हत्थे चढ़ गया। एसओ नोनहरा शैलेंद्र सिंह के मुताबिक थाना क्षेत्र स्थित सदिकापुर रेलवे क्रॉसिंग के पास उसे दबोचा गया। उसके कब्जे से चोरी की बाइक, मोबाइल फोन के अलावा 3150 रुपये नकद बरामद हुए।
पूछताछ में उसने अपनी जो कहानी बताई उससे पुलिस भी उसके शातिर दिमाग से दंग रह गई। दरअसल वह ट्रक का खलासी रह चुका था। लिहाजा अपने गृह जिला सोनभद्र से लाल बालू के कारोबार की बारीकियों से वाकिफ था।
अनुराग अपने शातिर दिमाग से बनाए प्लान के मुताबिक सोनभद्र जिला के मुख्यालय राबर्टसगंज से एक बाइक चुराया। उसके बाद उस बाइक से वह मीरजापुर, वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ आदि जिलों में घुमता। उस वक्त रास्ते में पड़ने वाली बिल्डिंग मटेरियल की दुकानों दुकानों पर अंकित फोन नबंर नोट कर लेता। उसके बाद वह सोनभद्र लौट कर लाल बालू लाद कर गुजर रहे ट्रकों पर अंकित फोन नबंरों को नोट करता। उसके बाद उस नबंर पर कॉल कर यह पता कर लेता कि ट्रक बालू लेकर कहां जाने वाला है। उसके बाद संबंधित जिले की बिल्डिंग मटेरियल की दुकान पर फोन लगा कर कम दर पर बालू गिराने का सौदा करता। दुकानदार की स्वीकृति मिलने पर फिर ट्रक मालिक को खुद दुकानदार बन कर फोन करता। उसके बाद दुकान पर बालू गिरवा देता। फिर दुकानदार के पास पहुंच कर अथवा अपना बैंक एकाउंट नबंर भेज कर बालू की तय कीमत वसूल लेता। कुछ दिनों बाद ट्रक मालिक को अपने को ठगे जाने का पता तब चलता जब वह उस दुकान पर बालू के बकाए रुपये लेने पहुंचते।
गाजीपुर में भी उसने इस तरह कई ट्रक मालिकों और दुकानदारों को अपना शिकार बनाया। इसकी शिकायत एसओ नोनहरा शैलेंद्र सिंह तक पहुंची। उनका माथा ठनका। उसके बाद उन्होंने अनुराग को गिरफ्त में लेने के लिए जाल बिछाया और इसमें उन्हें सफलता मिल गई।