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शम्मे हुसैनीः ध्वस्तीकरण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, अब तक करीब 80 फीसद हिस्सा ध्वस्त

गाजीपुर। गंगा पुल स्थित शम्मे हुसैनी हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग और कैंपस को ध्वस्त करने के डीएम की अगुवाई वाली आठ सदस्यीय बोर्ड के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी। हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ.आजम कादरी के निकटस्थ सूत्र ने यह जानकारी दी। बताया कि हाईकोर्ट ने तीन नवंबर तक मौके पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। बावजूद लगातार तीन दिनों चले प्रशासन के ‘बुलडोजर’ हॉस्पिटल और उसके कैंपस का करीब 80 फीसद हिस्सा ध्वस्त कर चुके हैं।

मालूम हो कि एसडीएम सदर प्रभास कुमार ने बीते आठ अक्टूबर को हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर को ढहाने का आदेश दिया था। इसके लिए प्रबंधन को एक हफ्ते की मोहलत दी थी। उन्होंने वह फैसला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों के हवाले से दिया था। उस नियम के तहत गंगा तट से 200 मीटर के दायरे में किसी तरह के पक्के निर्माण पर पूरी तरह रोक है। एसडीएम ने अपने आदेश में एनजीटी के तय मानक की अनदेखी कर हॉस्पिटल भवन और कैंपस के निर्माण को अवैध करार देते हुए उसे ढहाने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दी थी। एसडीएम सदर के उस आदेश को हॉस्पिटल प्रबंधन ने 12 अक्टूबर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने उस पर सुनवाई के बाद 14 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा कि इस मामले में याचि उचित न्यायिक तरीके से चले। एसडीएम के आदेश पर आपत्ति को डीएम के स्तर से दस दिन में निस्तारित किया जाए। उसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने डीएम की कोर्ट में अर्जी लगाकर एसडीएम सदर के आदेश पर रोक लगाने की अपील की। डीएम एमपी सिंह ने अपनी अगुवाई में आठ सदस्यीय बोर्ड गठित कर हॉस्पिटल प्रबंधन की अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया। उसके कुछ ही घंटे के बाद शनिवार की सुबह हॉस्पिटल, कैंपस ध्वस्त करने के लिए सरकारी अमला मौके पर पहुंच गया था। विजयादशमी के बावजूद दूसरे दिन रविवार को भी यह काम जारी रहा। तीसरे दिन भी ध्वस्तीकरण का काम जारी रखा। उसी बीच हाईकोर्ट के स्थगनादेश का हवाला देते हुए उस आशय का शपथ पत्र देकर ध्वस्तीकरण काम रोकने का आग्रह किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में प्रशासन को ई-मेल से हाईकोर्ट के स्थगनादेश की कॉपी मिली तब ध्वस्तीकरण का काम रोका गया।

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साप्ताहिक बंदी के बाद हॉस्पिटल प्रबंधन दोबारा हाईकोर्ट पहुंचा और पहली याचिका के आधार पर स्थगनादेश की गुहार लगाई जहां न्यायमूर्ती नाहीद अरा मुनिश तथा विवेक वर्मा की खंडपीठ ने उस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह याचिका एसडीएम सदर कोर्ट के आदेश के विरुद्ध था जबकि एसडीएम सदर के उस आदेश पर डीएम की अगुवाई वाला बोर्ड निर्णय दे चुका है। उसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने नई याचिका दाखिल की। उसी खंडपीठ ने अगले आदेश तक मौके पर यथा स्थिति बनाए रखने को कहा। खंडपीठ तीन नवंबर को उस याचिका पर सुनवाई करेगी।

हॉस्पिटल की बिल्डिंग, कैंपस ध्वस्त करने का कारण भले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों से हटकर अवैध निर्माण बता रहा हो लेकिन सियासी हलके में इसे बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ.आजम कादरी और उनके परिवार की निकटता से जोड़ा जा रहा है। शायद यही वजह रही कि प्रशासन अपनी ओर से हॉस्पिटल प्रबंधन को कोई ऐसा मौका नहीं देना चाहता था कि वह हाईकोर्ट से कोई राहत पाए और ध्वस्तीकरण का काम शुरू होने से पहले ही अटक जाए।

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