करंडा बीडीओ पर हमला, अज्ञात के विरुद्ध एफआईआर

गाजीपुर। हद है! योगी राज में भी करंडा ब्लॉक मुख्यालय में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बल्कि दबंग अपनी मर्जी से वहां का पूरा सिस्टम ऑपरेट करना चाहते हैं। बीडीओ करंडा अनिल श्रीवास्तव पर 26 मई की रात हुए हमले को भी दबंगों से ही जोड़ा जा रहा है।
इस सिलसिले में करंडा बीडीओ कुछ अन्य ब्लॉकों के बीडीओ संग 27 मई को डीएम एमपी सिंह से मिले। उसके बाद उनकी तहरीर पर करंडा थाने में अज्ञात के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई। बीडीओ करंडा के मुताबिक वह रात का भोजन कर रोज की तरह ब्लॉक मुख्यालय परिसर स्थित अपने आवास से सीएचसी तक टहलने गए थे। उसी बीच रास्ते में पहले से मौजूद हथियारबंद अज्ञात युवक ने उन्हें रोका और गालियां देते हुए उनके सिर पर जोरदार प्रहार किया। उसकी नीयत भांप कर वह चुप रहने में ही भलाई समझे। उसके बाद वह पूर्व के बीडीओ कल्याण सिंह का हश्र करने की धमकी देते हुए कुछ ही दूरी पर मौजूद अपने साथी की बाइक पर बैठकर अंधेरे में लापता हो गया।
मालूम हो कि सन् 1998 में तत्कालीन करंडा बीडीओ कल्याण सिंह की हत्या रात में सोते वक्त सरकारी आवास में ही कर दी गई थी। तब प्रदेश में कल्याण सिंह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार थी। उस घटना के बाद से करंडा बीडीओ के पद पर कोई अधिकारी अपनी स्थाई नियुक्ति कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अतिरिक्त प्रभार से ही काम चलता रहा लेकिन पिछले साल दिसंबर में अनिल श्रीवास्तव की बतौर बीडीओ स्थाई नियुक्ति हुई। शुरू में तो उनके लिए सबकुछ ठीक रहा लेकिन इधर दबंग उन पर हावी होने की कोशिश में लग गए।
हालांकि अब बीडीओ करंडा अनिल श्रीवास्तव खुद के हमलावर की ओर से पूर्व बीडीओ कल्याण सिंह के हश्र की धमकी से डर गए लगते हैं। इतना कि हमले से जुड़े बहुत कुछ तथ्य वह अपने पेट से बाहर निकालने तक की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं। ‘आजकल समाचार’ ने अपने स्तर से इस पूरे प्रकरण में तह तक जाने की कोशिश की और जो कहानी सामने आई, वाकई वह डराने वाली है। इसके पीछे विकास कार्यों के भुगतान का मामला है। इसकी धनराशि करीब दो करोड़ में है और यह विकास कार्य चालू और पिछले वित्तीय साल के हैं। बीडीओ पर उन विकास कार्यों के भी भुगतान के लिए बेजा दबाव बनाए जा रहे हैं, जो धरातल पर हुए ही नहीं हैं। इसीक्रम में टहलने निकले बीडीओ अनिल श्रीवास्तव पर न सिर्फ हमला हुआ था। बल्कि हमले के दूसरे दिन उनके साथ दफ्तर में भी दुर्व्यवहार हुआ था।
बीडीओ अनिल श्रीवास्तव समेत करंडा ब्लॉक मुख्यालय के हर किसी को पता है कि यह सब जो हो रहा है, उसका मास्टर माइंड कौन है। बल्कि दबी जुबान करंडा ब्लॉक प्रमुख आशीष यादव का नाम लिया जा रहा है। मालूम हो कि आशीष यादव के पिता अमरनाथ यादव का नाम पुलिस फाइलों में कुख्यात तस्कर के रूप में दर्ज रहा है और उन्हीं सब कारणों से उनकी 2016 में हत्या हो गई थी।