अब तक 60 फीसद ही ढह पाया शम्मे हुसैनी हॉस्पिटल, फौलादी निर्माण ढहाने की रफ्तार में आ रहा आड़े

गाजीपुर। गंगा पुल स्थित शम्मे हुसैनी हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग और कैंपस को शनिवार की सुबह ढहाने का काम सूर्यास्त के बाद रोक दिया गया। अब शेष हिस्से को ढहाने के काम पर 25 अक्टूबर की सुबह दोबारा हाथ लगेगा। प्रशासनिक सूत्रों की मानी जाए तो अभी तक करीब 60 फीसद हिस्सा ही टूट पाया है।
हालांकि ढहाने के काम में चार पोकलैंड, तीन जेसीबी के साथ काफी संख्या में मजदूर लगाए गए थे लेकिन बिल्डिंग की फौलादी दीवारें आड़े आ रही थीं। ढहाने के लिए सरकारी अमला तड़के ही मौके पर पहुंच गया था। ढहाने का काम सुबह करीब पौने नौ बजे शुरू हुआ था। शुरुआत कैंपस के पूर्वी छोर (गंगा पुल) से हुई। उसी छोर के अगले हिस्से की चाहरदीवारी, रिसेप्शन, रेस्टोरेंट, ट्रैक्टर शो रूम और पिछले हिस्से में नर्सिंग कॉलेज का गर्ल्स हॉस्टल, स्टॉफ क्वार्टर, कैंटीन वगैरह की बिल्डिंग ढहा दी गई है। ढहाते वक्त एडीएम, सीआरओ, एएसपी सहित एसडीएम, एएसडीएम, सीओ और कई थानों की पुलिस फोर्स डटी रही।
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मालूम हो कि हॉस्पिटल को ध्वस्त करने का काम डीएम की अगुवाई वाली आठ सदस्यीय बोर्ड के शुक्रवार की शाम आए फैसले के बाद शुरू हुआ है। एसडीएम सदर प्रभास कुमार ने बीते आठ अक्टूबर को हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर को ढहाने का आदेश दिया था। इसके लिए प्रबंधन को एक हफ्ते की मोहलत दी थी। उन्होंने वह फैसला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों के हवाले से दिया था। उस नियम के तहत गंगा तट से 200 मीटर के दायरे में किसी तरह के पक्के निर्माण पर पूरी तरह रोक है। एसडीएम ने अपने आदेश में एनजीटी के तय मानक की अनदेखी कर हॉस्पिटल भवन और कैंपस के निर्माण को अवैध करार देते हुए उसे ढहाने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दी थी। एसडीएम सदर के उस आदेश को हॉस्पिटल प्रबंधन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने उस पर सुनवाई के बाद 14 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा कि इस मामले में याचि उचित न्यायिक तरीके से चले। एसडीएम के आदेश पर आपत्ति को डीएम के स्तर से दस दिन में निस्तारित किया जाए। उसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने डीएम की कोर्ट में अर्जी लगाकर एसडीएम सदर के आदेश पर रोक लगाने की अपील की। डीएम एमपी सिंह ने अपनी अगुवाई में आठ सदस्यीय बोर्ड गठित कर हॉस्पिटल प्रबंधन की अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया। उसके कुछ ही घंटे के बाद हॉस्पिटल, कैंपस ध्वस्त करने के लिए सरकारी अमला मौके पर पहुंच गया। प्रशासन हॉस्पिटल की बिल्डिंग, कैंपस ध्वस्त करने का कारण भले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों से हटकर अवैध निर्माण बता रहा हो लेकिन सियासी हलके में इसे बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ.आजम कादरी और उनके परिवार की निकटता से जोड़ा जा रहा है।
…और मदद में पहुंच गया था पूरा बरबरहना मुहल्ला
डीएम की अगुवाई वाले बोर्ड के उस फैसले के बाद ही प्रबंधन का पूरा तंत्र रात में ही हॉस्पिटल सहित पूरे कैंपस को खाली करना शुरू कर दिया था। वहां दाखिल करीब 100 गंभीर रोगी भी एंबुलेंस के जरिये रातों रात अन्यत्र शिफ्ट कर दिए गए। उन रोगियों की सुरक्षित शिफ्टिंग के लिए सीएमओ जीसी मौर्य भी पहुंच गए थे। सरकारी एंबुलेंस की भी सेवा ली गई। हॉस्पिटल बिल्डिंग में सीटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रा साउंड इत्यादि की महंगी मशीनें, ऑपरेशन थियेटर के टेबल और सर्जिकल इक्यूमेंट्स, बेड, फर्नीचर वगैरह जैसे तैसे सहेज कर दूसरी जगह पहुंचाए गए। इस काम में मदद के लिए हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ.आजम कादरी के मुहल्ला बरबरहना के लोग भी लगभग पूरी रात लगे रहे। हॉस्पिटल की मुख्य बिल्डिंग सेंट्रलाइज एसी थी। सीसीटीवी कैमरों को भी निकालने की कोशिश हुई। पूरा कैंपस 27 बीघे में पसरा है और उसमें हिसाब लगाया जाए तो प्रबंधन का करोड़ों का निवेश रहा है। हॉस्पिटल प्रबंधन का करोड़ों का नुकसान हुआ है तो नर्सिंग कॉलेज का छात्राओं के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो गया है। प्रशासन इस कार्रवाई को जहां न्यायोचित बताए लेकिन आमजन इससे नाखुश है। इसकी गवाही सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रियाएं कर रही हैं। इस कैंपस की नींव सन् 1998 में पड़ी थी।