“पिनाक” का लोकार्पण : जैसा नाम वैसा काम, साहित्य के नायक बने माधव कृष्ण!

गाजीपुर। द प्रेसीडियम इंटरनेशनल स्कूल अष्टभुजी कालोनी के सभागार में उस क्षण ने साहित्य प्रेमियों को रोमांचित कर दिया, जब वरिष्ठ लेखक माधव कृष्ण द्वारा रचित निबंध संकलन “पिनाक” का लोकार्पण संपन्न हुआ।
समारोह की शुरुआत माता सरस्वती और परमहंस बाबा गंगारामदास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण और पुष्पार्चन से हुई। सरस्वती वंदना बलिया की चर्चित कवयित्री डॉ. कादम्बिनी सिंह ने की, जबकि गायत्री परिवार के सुरेंद्र सिंह बाबू जी और अन्य सदस्यों ने स्वस्ति वाचन से वातावरण को पावन बना दिया।
इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ. मांधाता राय, सारस्वत अतिथि प्रो. अनिल राय और मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि-चिंतक देवेंद्र आर्य का भव्य सम्मान हुआ।
डॉ. मांधाता राय ने कहा कि “पिनाक” वैदिक और औपनिषदिक परंपरा से पुष्ट निबंधों के माध्यम से समाज की समस्याओं से जूझता है।
प्रो. अनिल राय (हिंदी साहित्य के ख्यातिलब्ध समालोचक व गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य) ने कहा कि “पिनाक शिव का धनुष है, जो विध्वंस भी करता है और वीणा की तरह सृजन भी।” उन्होंने पुस्तक को “बहु पठित, बहु संदर्भित” बताते हुए युवाओं को प्रेरणा देने वाला बताया।
देवेंद्र आर्य ने कहा कि “डॉ. माधव कृष्ण और डॉ. शिखा तिवारी आने वाले समय में साहित्यकार दंपति के रूप में अपनी अलग पहचान दर्ज कराएंगे। ‘पिनाक’ कट्टरता का प्रतिरोध करता है और सत्य को सैद्धांतिक रूप में प्रस्तुत करता है।”
आधार वक्तव्य रखते हुए पीजी कॉलेज गाजीपुर की हिंदी आचार्या डॉ. शिखा तिवारी ने कहा कि माधव कृष्ण भारत की विराट सांस्कृतिक परंपरा से प्रेरित हैं, लेकिन वे जड़ता के विरोध में दृढ़ता से खड़े होते हैं। यही कारण है कि उनकी पुस्तक युवाओं की वैचारिक गतिशीलता के लिए ऊर्जा प्रदान करती है।
लेखक माधव कृष्ण ने आत्मीय लेखकीय आभार व्यक्त किया, जबकि ममता उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस मौके पर अर्थशास्त्री श्रीकांत पांडेय और मनोवैज्ञानिक अंबिका पांडे ने भी आशीर्वचन दिया।
सभा में विविध क्षेत्रों के प्रतिनिधियों में अमरनाथ तिवारी, दिनेश्वर दयाल, संजय कुमार, संजय सिंह (पत्रकार) , कुंवर वीरेंद्र सिंह, शीर्ष दीप, पारसनाथ सिंह, वीरेंद्र प्रताप सिंह, आतिश श्रीवास्तव, रंजना राय, अनीशा सिंह, जे पी ठाकुर, रामनिवास यादव, रामनगीना कुशवाहा, गोपाल सिंह, अच्छेलाल कुशवाहा, अखिलेश्वर प्रसाद सिंह सहित अनेक साहित्यकार, समाजसेवी और गणमान्यजन उपस्थित रहे।