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पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह मरदह कांड के दोनों पक्षों का पोछे आंसू

गाजीपुर। बहुचर्चित मरदह कांड को लेकर जहां अन्य नेता अपनी राजनीति साधने में जुटे हैं, वहीं सपा के पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह इस कांड के चलते सामाजिक समरसता में आई खटास की जगह फिर से मिठास घोलना चाहते हैं। शायद यही वजह रही कि वह मंगलवार को बगैर भेदभाव किए दोनों पक्ष के पीड़ितों के घर पहुंचे थे।

राधेमोहन सिंह पुलिसिया जुल्म के कथित शिकार बंटी राजभर की व्यथा कथा सुने। फिर दूसरे पक्ष के पीड़ित जिला पंचायत सदस्य शशिप्रकाश सिंह के घर जाना भी वह नहीं भूले। दोनों जगह वह आखिर में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने का आग्रह किए।

उस मौके पर पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह के साथ जिला पंचायत सदस्य मटरू यादव, लल्लन सिंह, भीम सिंह, रामलाल प्रजापति,  राकेश यादव, नागेंद्र यादव, पुष्कर सिंह, तकदीर सिंह, विजय सिंह आदि भी थे।

जिला मुख्यालय पर लौटने के बाद राधेमोहन सिंह ने ‘आजकल समाचार’ से बातचीत में कहा कि मरदह में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है और निःसंदेह उसके लिए मुकामी पुलिस कसूरवार है। एक सवाल पर सपा के पूर्व सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी सबको बराबरी के हक की पैरोकार है। सामाजिक समरसता को कायम रखने में बराबर जुटी रहती है जबकि भाजपा की सबका साथ-सबका सम्मान की बात सरासर बेमानी है। उसके नेता मरदह कांड को अपने जातीय चश्मे से देख रहे हैं। उनका यह आचरण सामाजिक तानेबाने को तोड़ने वाला है।

…और यह था मरदह कांड

बीते 14 अक्टूबर की रात में मरदह में रामलीला मंचन के वक्त कुछ मनबढ़ युवक ग्रीन रूम में पहुंच कर महिला कलाकारों के साथ अशिष्टता करने लगे थे। रोकने-टोकने पर वह रामलीला कमेटी के लोगों से उलझ गए थे और मंच की माइक वगैरह तोड़ दिए थे। तब कमेटी के लोगों ने उन्हें बलपूर्वक खदेड़ दिया था। उसके बाद 15 अक्टूबर की सुबह उन युवकों ने कमेटी के अध्यक्ष और भाजपा मंडल अध्यक्ष तथा जिला पंचायत सदस्य शशिप्रकाश सिंह को हमला कर जख्मी कर दिया था। शशिप्रकाश सिंह ने इसकी तहरीर मरदह थाने में दी। पुलिस नामजद पांच युवकों  को उठाकर ले आई और सीधे लॉकअप में डाल दी। दुर्भाग्यवश 16 अक्टूबर की सुबह उन युवकों में बंटी राजभर की तबीयत बिगड़ गई। उसे इलाज के लिए लॉकअप से निकाल कर अस्पताल ले जाया गया। उसी बीच बंटी की बस्ती में यह अफवाह फैल गई थी कि पुलिस की बर्बर पिटाई से उसकी मौत हो गई। उसके बाद सैकड़ों की संख्या में बस्ती के लोग सीधे थाने पर धावा बोल दिए थे। पुलिस  अपने अंदाज में उन्हें भगाना चाही तो वह थाने में घुस कर पथराव शुरू कर दिए थे। उसमें तत्कालीन एसएचओ विरेंद्र कुमार का सिर फटा और अन्य 12 पुलिस कर्मियों को भी चोटें आईं थीं। उसके बाद पुलिस की अतिरिक्त फोर्स मय अधिकारियों संग मौके पर पहुंची और जमीन पर लाठियां पटक कर किसी तरह भीड़ को खदेड़ी थी। तब हालात काबू में आए थे।

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