बहुचर्चित अलीशा इरफान हत्याकांड में कातिल बहनोई को उम्र कैद

गाजीपुर। बहुचर्चित बीटीसी छात्रा अलीशा इरफान हत्याकांड में कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला गुरुवार को आ गया। फास्ट ट्रैक कोर्ट दो के न्यायाधीश दुर्गेश ने अलीशा के कातिल बहनोई इमाम अहमद को उम्र कैद के साथ ही 5.10 लाख रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया।
मुकदमे की सुनवाई में अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने पैरवी की। उन्होंने अपने कथानक के समर्थन में कुल दस गवाह पेश किए। सभी ने कथानक की पुष्टि की। अलीशा गाजीपुर शहर के मुस्तफाबाद मुहल्ले की रहने वाली थी। उसका कातिल बहनोई इमाम अहमद भांवरकोल थाने के फखनपुरा का रहने वाला है। पेशे से वह सरकारी जूनियर हाईस्कूल का शिक्षक रहा है। अलीशा बिरनो क्षेत्र के रुहीपुर स्थित कॉलेज में बीटीसी फाइल की छात्रा थी।
…और यह था घटनाक्रम
अलीशा पहली नवंबर 2019 को कॉलेज जाने की बात कह घर से निकली थी। उसके बाद दो नवंबर को उसकी लाश बिरनो थाने के महमूदपुर ढेबुवा के ईंट भठठे के पास झाड़ियों में मिली थी। हालांकि पहचान छुपाने की गरज में कातिल ने उसके चेहरे को भी चाकू से गोद दिया था लेकिन कपड़े, हाथ के कड़े से उसकी पहचान हुई थी। उधर जब अलीशा कॉलेज से घर नहीं लौटी तब उसके भाई अरसद ने शहर कोतवाली में गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया था।
पुलिस का रहा बेस्ट इंवेस्टीगेशन
वाकई! अलीशा के असल कातिल तक पहुंचना पुलिस के लिए शुरुआत में टेढ़ी खीर ही थी लेकिन उसके बेस्ट इंवेस्टीगेशन का ही नतीजा रहा कि वह इस हत्याकांड की पूरी गुत्थी सुलझा पाई थी जबकि मौके पर शातिर कातिल ने ऐसा कोई फिजिकल एवीडेंस नहीं छोड़ा था जिससे कि पुलिस को तत्काल उस मामले में कोई लीड मिलती। बल्कि इस कत्ल को लेकर पुलिस पर जनदबाव भी पड़ने लगा था। बारा सहित कई जगह अलीशा की आत्मा की शांति और कातिल की गिरफ्तारी के लिए कैंडिल जुलूस भी निकलने लगे थे लेकिन पुलिस सबर कर टेक्निकल इंवेस्टीगेशन में जुट गई थी। आखिर उसकी मेहनत रंग लाई थी और आलीशा के फोन के कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज, अलीशा के परिवारीजनों के बयानात वगैरह से कत्ल की सारी कड़ियां जोड़ते हुए उसके कातिल बहनोई तक पहुंच गई थी। उसके घर फखनपुरा से अलीशा का फोन, पर्श और कत्ल में इस्तेमाल चाकू भी बरामद हुआ था।
नाजायज रिश्ते के शक में किया था कत्ल
अलीशा के हत्यारे बहनोई को गिरफ्त में लेने के बाद पुलिस के लिए बड़ा सवाल था कि पढ़े-लिखे और पेशे से शिक्षक इमाम अहमद ने अपनी ही सगी साली को मौत के घाट क्यों उतारा। पूछताछ में इमाम अहमद ने इसके पीछे की जो कहानी बताई थी। उसे सुन पुलिस भी सन्न रह गई थी। उसने बताया कि वह खूबसूरत और जहिन अलीशा को एक कामयाब महिला बनाना चाहता था। इसके लिए वह उसका पूरा ख्याल रखता। उसकी हर जरूरत पूरी करता। अलीशा भी उसकी हर बात मानती लेकिन अचानक उसके व्यवहार में बदलाव देख उसे शक हुआ और जब उसका शक यकीन में बदला तब उसने खौफनाक कदम उठाने का फैसला किया। प्लान बनाया और प्लान के तहत अलीशा को फोन कर घर से बुलाया। उसे पता था कि अलीशा का कॉलेज बंद है लेकिन उसने अलीशा को कॉलेज के बहाने ही घर से निकलने को कहा। उसके बाद वह अपनी बाइक पर बैठाकर आजमगढ़ के रास्ते अंबेडकर नगर के किछौछा शरीफ में सूफी संत साईंद मखधम शाह जहांगीर अशरफी की दरगाह पर लगा मेला दिखाने ले गया। वापसी में वह बिरनो थाना क्षेत्र के महमूदपुर ढेबुआं गांव के ईंट भट्टे के पास निर्जन स्थान पर लघुशंका के बहाने बाइक रोका और पीछे से आकर उस पर हमला कर दिया और यह इत्मिनान होने पर कि उसकी मौत हो चुकी है तब वह उसकी लाश को झाड़ी की आड़ में रख दिया। उसकी पहचान न होने पाए। उसके लिए उसने चेहरे पर भी कई बार किए थे। उसके बाद वह अलीशा का फोन, पर्श लेकर अपने घर लौट गया था।