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अतुल प्रकरणः…पर साथी संग आत्मदाह की कोशिश क्यों की पीड़िता

गाजीपुर। सांसद अतुल राय पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली युवती अपने साथी संग दिल्ली पहुंचकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह की कोशिश आखिर क्यों की। यह सवाल अतुल राय के संसदीय क्षेत्र घोसी (मऊ) और गृह जिला गाजीपुर में उठ रहा है।

वह भी तब जब पूरा मामला एमपी-एमएलए कोर्ट प्रयागराज में विचाराधीन है और खुद आरोपित सांसद अतुल राय नैनी जेल में तब से निरुद्ध हैं। बावजूद कौन से हालात आ गए कि युवती और उसके साथी ने यह खौफनाक कदम उठाने का फैसला किया।

क्या उन दोनों ने अपने आरोप के कमजोर पड़ते जाने और खुद को कानूनी शिंकजे में फंसते जाने की बौखलाहट में ऐसा किया या फिर इस पूरे मामले को नए सिरे से मीडिया की सुर्खी बनाने और कोर्ट, पुलिस पर बेजा दबाव बनाने के लिए इस तरह उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी।

वैसे इस बात को दम इस लिए मिलता है कि एक तो उन्होंने इस कृत्य के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के सामने की जगह चुनी और तिथि भी एमपी-एमएलए कोर्ट में सीआरपीसी 173/8 पर फैसला आने के ठीक एक दिन पहले की।

दरअसल, इस मामले की पुलिसिया विवेचना में यह तथ्य सामने आया कि कथित पीड़िता के साथी सत्यम राय ने मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के इशारे पर उम्रकैद की सजा काट रहे कुख्यात अपराधी अंगद राय संग मिल कर अतुल राय को यौन उत्पीड़न जैसे झूठे संगीन आरोप में फंसाने की साजिश रची और इस आधार पर पुलिस अधिकारियों ने सीआरपीसी 173/8 की कार्यवाही की संस्तुति की। उसके बाद अभियोजन की ओर से बतौर सबूत सत्यम राय तथा अंगद राय की टेलीफोन पर साजिश रचने को लेकर हुई बातचीत की ऑडियो क्लिप के साथ कोर्ट में इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया गया। उस प्रार्थना पत्र को निस्तारित करने की कोर्ट ने 17 अगस्त की तिथि तय की थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि वादिनी मुकदमा और गवाह मुकदमा सत्यम राय भी उस तिथि पर हाजिर रहे। हालांकि खबर है कि अब कोर्ट ने उसे अगले सप्ताह के लिए टाल दिया है।

दोनों के नाम है गैर जमानती वारंट

सांसद अतुल राय के भाई पवन कुमार सिंह की अर्जी पर सीजीएम स्पेशल कोर्ट वाराणसी ने कथित पीड़िता और उसके साथी के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया है। पवन सिंह ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक लोगों पर रेप के झूठे आरोप लगाकर उनसे रुपये ऐंठने और समझौता करने की कथित पीड़िता और उसके साथी की पुरानी फितरत है। अपनी बात की पुष्टि में पवन सिंह ने ऐसे ही एक मामले का जिक्र भी किया था और मय दस्तावेजी साक्ष्य यह भी आरोप जड़ा था कि एक मामले में उन लोगों ने कूट रचित अभिलेखों का भी इस्तेमाल अभिलेखों का इस्तेमाल किया था। सीजीएम ने उसे मामले को संज्ञान में लेते हुए वाराणसी के कैंट थाने में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया और बाद में उसी सिलसिले में उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट भी जारी किया। बावजूद वह दोनों अभी तक वाराणसी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं।

मुकदमे पर नहीं पड़ेगा असर

पीड़िता और उसके आत्मदाह की कोशिश का एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बात सांसद राय के वकील दिलीप श्रीवास्तव ने भी मानी। उनका कहना था कि पीड़िता और उसके साथी का बयान कोर्ट में पहले ही हो चुका है और हैरानी नहीं कि उन पर आत्मदाह की कोशिश का केस भी दर्ज हो। वकील ने बताया कि कथित पीड़िता ने एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश की निष्पक्षता पर भी अंगुली उठाते हुए मुकदमे कहीं अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की थी। उसके लिए वह हाई कोर्ट से लगायत सुप्रीम कोर्ट तक भी गई थीं लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई थी।

आत्मदाह की कोशिश से पहले फेसबुक लाइव

कथित पीड़िता और उसके साथी ने आत्मदाह की कोशिश से पहले फेसबुक लाइव किया और बताया कि कुछ पुलिस अधिकारी और न्यायिक अधिकारी उसके मामले में सांसद अतुल राय को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में उनको यह कड़ा कदम उठाने को बाध्य होना पड़ रहा है। उसके बाद ही उन दोनों ने अपने शरीर पर पेट्रोल डाल कर आग लगा ली थी। तब सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा में तैनात आरएसी के जवानों ने लपक कर उनके शरीर की आग बुझाई थी और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहुंचाया था। खबर है कि वहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

वाकई! पूरे प्रकरण के सूत्रधार मुख्तार अंसारी

सांसद अतुल राय के प्रतिनिधि गोपाल राय की मानी जाए तो इस पूरे प्रकरण के पीछे मऊ विधायक मुख्तार अंसारी हैं। वह अतुल राय से तब से खुन्नस खाए हैं, जब 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा मुखिया मायावती ने घोसी सीट के लिए अतुल राय को टिकट दिया। मुख्तार अंसारी वह टिकट अपने बेटे अब्बास अंसारी को दिलाना चाहते थे। टिकट कटवाने के लिए मुख्तार अंसारी ने अपने गुर्गे अंगद राय के जरिये अतुल राय के विरुद्ध गहरी साजिश रची लेकिन बसपा मुखिया उस साजिश के झांसे में नहीं आईं। बल्कि वह अतुल राय को बेकसूर मानते हुए उनके पक्ष में खड़ी हो गई थीं। यहां तक कि अतुल राय के जेल जाने के बाद भी वह उनके समर्थन में चुनावी सभा करने पहुंची थीं।

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