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करंडा प्रकरणः बीडीओ ने पलट दी पुलिस की कहानी

गाजीपुर। करंडा बीडीओ अनिल श्रीवास्तव ने खुद पर कातिलाने हमले की पुलिसिया कहानी को पलट दिया है। पुलिस इस मामले में ब्लॉक प्रमुख आशीष यादव के चचेरे भाई राहुल यादव तथा निजी गनर सुरेश चंद्र तिवारी को जेल भेज चुकी है।

बीडीओ अनिल श्रीवास्तव ने बीते 16 जून को पुलिस कप्तान को शपथ पत्र देकर साफ कहा है कि उन पर हुए हमले में राहुल यादव और सुरेश चंद्र तिवारी शामिल नहीं थे। उन्होंने बताया है कि उन दोनोंजनों का ब्लॉक प्रमुख संग ब्लॉक मुख्यालय में प्रायः आना-जाना रहा है। लिहाजा वह उन्हें भलीभांति पहचानते हैं। शपथ पत्र में बीडीओ ने पुलिस विवेचना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अव्वल तो दोनोंजन उन पर हमले में शामिल रहे होते तो वह पुलिस को दी अपनी तहरीर में उन्हें नामजद जरूर किए होते जबकि पुलिस विवेचक एसआई विनोद कुमार तिवारी ने उनके बयान का हवाला देते हुए राहुल यादव और सुरेश चंद्र तिवारी को हमलावर करार दिया और उन दोनों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया जबकि वह ऐसा कोई बयान ही नहीं दिए।

पुलिस कप्तान ने खुद के नाम बीडीओ के शपथ पत्र की पुष्टि की और कहा कि विवेचना में इस बिंदू को भी शामिल किया जाएगा।

उधर जेल में निरुद्ध करंडा ब्लॉक प्रमुख के चचेरे भाई राहुल यादव तथा निजी गनर सुरेश चंद्र तिवारी की ओर कोर्ट में जमानत की अर्जी दी है। जाहिर है कि कोर्ट में उस अर्जी पर सुनवाई के दौरान उनके वकील बीडीओ के शपथ पत्र का भी हवाला देंगे।

मालूम हो कि बीते 26 मई की रात करीब पौने दस बजे बीडीओ करंडा अनिल श्रीवास्तव पर हथियारबंद लोगों ने हमला किया था और हमलावर जाते वक्त उन्हें जान से मारने की धमकी भी दे गए थे। हमले की घटना के वक्त बीडीओ करंडा भोजन के बाद टहलने निकले थे। उस घटना को बेजा भुगतान के दबाव को लेकर बीडीओ करंडा और ब्लॉक प्रमुख के बीच चल रहे विवाद का नतीजा बताया गया था। यह मामला राजनीतिक हलके में भी सुर्खियों में है।

हालांकि घटना के बाद साथी अनिल श्रीवास्तव को लेकर जिले के अन्य बीडीओ डीएम एमपी सिंह से मिले थे। उसके बाद डीएम के आदेश पर पुलिस हरकत में आई लेकिन उसके बाद खुद बीडीओ करंडा बैकफुट पर हो गए। इसी बीच वह छुट्टी पर चले गए और खबर है कि शुक्रवार को लौट आए मगर ब्लॉक मुख्यालय पर जाने के बजाए जिला मुख्यालय पर ही जमे रहे। इसी बीच करंडा के एडीओ पंचायत रमेश गुप्त मेडिकल छुट्टी पर चले गए हैं। उनकी इस छुट्टी को भी बीडीओ बनाम ब्लॉक प्रमुख के प्रकरण से ही जोड़ा जा रहा है।

याद किया जाए तो करंडा में बीडीओ और प्रमुख के बीच विवाद का यह कोई पहला प्रकरण नहीं है। बल्कि 1998 में तत्कालीन बीडीओ कल्याण सिंह की उनके सरकारी आवास में हत्या भी कर दी गई थी। लिहाजा इस ताजी घटना को भी लोग अति गंभीर मान रहे हैं।

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