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अरुण सिंह के दिल में योगी-मोदी के लिए अगाध प्रेमः गौतम मिश्र

गाजीपुर। जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन अरुण सिंह के घर पहुंचकर उनकी पत्नी शीला सिंह से भाजपा की सदर विधानसभा सीट की उम्मीदवार डॉ.संगीता बलवंत भले ही अपनी जीत का आशीर्वाद प्राप्त कर ली हैं लेकिन खुद अरुण सिंह के दिल में डॉ.संगीता बलवंत के पूर्व के व्यवहार की टीस आज भी है।

एक हत्या के मामले में नैनी जेल में निरुद्ध अरुण सिंह के प्रतिनिधि गौतम मिश्र एडवोकेट ने ‘आजकल समाचार’ से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हालांकि डॉ.संगीता बलवंत के उनके घर पहुंचकर पत्नी शीला सिंह से आशीर्वाद लेने के कदम का अरुण सिंह ने स्वागत किया है लेकिन लगे हाथ यह सवाल भी उठाया है कि आखिर भाजपा उम्मीदवार डॉ.संगीता बलवंत को यह कदम उठाने की जरूरत ही क्यों पड़ी जबकि वह खुद भाजपा के टिकट पर तीन बार विधानसभा चुनाव लड़े थे तब वह उनका विरोध करती रहीं। यहां तक कि 2017 के चुनाव में वह पहली बार भाजपा के टिकट पर सदर सीट से लड़ीं तब उन्हें अरुण सिंह के घर जाने की जरूरत नहीं समझ में आई।

श्री मिश्र ने कहा कि डॉ.संगीता बलवंत को देर से ही सही मगर अरुण सिंह की सियासी हैसियत का एहसास तो हुआ। वैसे एक सवाल पर श्री मिश्र ने कहा कि इस बाबत अरुण सिंह के स्पष्ट संदेश का उनके कार्यकर्ताओं को अभी इंतजार है लेकिन यह जरूर है कि अरुण सिंह के दिल में योगी-मोदी के लिए अगाध प्रेम, सम्मान है।

इस मौके पर अरुण सिंह का सदर सीट से बतौर निर्दल उम्मीदवार दाखिल नामांकन पत्र खारिज होने की चर्चा करते हुए श्री मिश्र ने कहा कि यह उनके साथ सरासर ज्यादती है। दुराग्रहपूर्ण कृत्य है और यह दुराग्रह इतना है कि अरुण सिंह की अगुवाई वाली सर्वदलीय संघर्ष समिति को मतदाता जागरूकता कार्यक्रम तक को प्रशासन ने इजाजत नहीं दी। इसक्रम में श्री मिश्र ने अरुण सिंह की पंक्तियां दोहराते हुए कहा-‘मंजिल मिले, मिले ना मिले, इसका मुझे गम नहीं-मंजिल की जूफ्तजूं में, मेरा कारवां तो है’। अरुण सिंह अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं का हौसलाअफजाई करने के लिए यह भी कहते रहते हैं कि उन्हें हर चुनौती कबूल है। बस इस संकट काल में हमें एकजुट रहने की जरूरत है। ‘आईना वही होगा, तश्वीर बदल देंगे हम’। इस बुरे वक्त में हम संगठित रहे तो इस बुरे वक्त की तकदीर बदल देंगे हम।

श्री मिश्र ने कहा कि अरुण सिंह यही चाहते हैं कि उनकी समिति के सदस्य इस चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल जरूर करें। चुनाव के इस महायज्ञ में अपने वोट की आहूति अवश्य करें। मालूम हो कि अरुण सिंह गाजीपुर में जनाधार वाले नेता माने जाते हैं और 2002, 2007 तथा 2012 का विधानसभा चुनाव भाजपा पर लड़े थे। तब भाजपा विरोधी लहर में अपने बूते सम्मानजनक वोट हासिल किए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर वह भाजपा से बगावत कर खुद को अलग कर लिए थे। बावजूद उनके अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं की तादात जस की तस है।

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