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हॉकी स्टार ने अपेन गुरु तेजू भैया को ऐसे किया याद

गाजीपुर। एक शिष्य दुनिया में कामयाबी का झंडा गाड़ कर अपने ‘गुरुकुल’ लौटे और गुरु न मिलें। तब उस शिष्य का मनोभाव कैसा होगा। इसका एहसास गुरुवार की सुबह मेघबरन सिंह स्टेडियम करमपुर में हुआ।

मौका था टोक्यो ओलंपिक में पदक जीत कर लौटी भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी ललित उपाध्याय के स्टेडियम में आने का। अपने गुरु तेजबहादुर सिंह तेजू के न होने का दर्द ललित उपाध्याय के चेहरे और स्वर में बार-बार प्रकट होता रहा। वह रुंधे गले से बोले- मेरा जन्म भले ही वाराणसी में हुआ लेकिन मेरी कर्मभूमि यही करमपुर है। मैं टोक्यो रवानगी से बहुत पहले ही तय किया था कि ओलंपिक में अपनी टीम को मिलने वाला पदक करमपुर लौटकर अपने तेजू भैया के हाथों ही पहनूंगा लेकिन दुर्भाग्य कि मेरा करमपुर लौटने का इंतजार करने से पहले ही तेजू भैया हम सबको छोड़ कर इस दुनिया से चले गए।

करमपुर में तेजू सिंह की छत्रछाया में सालों बिताए दिनों को याद करते हुए श्री उपाध्याय ने बताया कि इसी स्टेडियम में एक ओर बैठ कर तेजू भैया अभ्यास करते एक-एक खिलाड़ी पर नजर रखते और उनकी भूल-चूक पर टोकते। बात उन दिनों की है जब मेरी पढ़ाई की परीक्षा थी और मैं नर्वस था। तब तेजू भैया ने कहा था- ‘ललित पहिले पेट भर खाना खा फिर देखल जाई’। मैं तेजू भैया की ही बदौलत आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं।

ललित उपाध्याय ने उपस्थित जनसमूह और खुद के लिए वादा के अंदाज में कहा कि वह अपने तेजू भैया को भारत सरकार से द्रोणाचार्य का सम्मान दिलाने की हर संभव कोशिश करेंगे।

तेजू सिंह से स्टेडियम में खुद को मिली सीख को दोहराते हुए प्रशिक्षु खिलाड़ियों से कहा कि अपने प्रशिक्षक के हर निर्देश का पालन करें। अपनी नींद चैन त्याग कर खूब मेहनत करें। एक दिन उन्हें भी देश का गौरव बढ़ाने का मौका निश्चित मिलेगा।

इस मौके पर स्व. तेजबहादुर सिंह तेजू के अनुज पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह ने कहा कि ललित उपाध्याय ने करमपुर की पहचान विश्व के पटल पर पहुंचाई है। तेजू भैया के कदम चिन्हों पर चल कर करमपुर स्टेडियम का संचालन होता रहेगा। उन्होंने स्टेडियम के एस्ट्रोटर्फ की पश्चिमी ओर दर्शकों के लिए बने स्टैंड का नाम ललित उपाध्याय स्टैंड घोषित करते हुए उसका ललित उपाध्याय के ही हाथों उद्घाटन भी करवा दिया।

उसके पूर्व वाराणसी से आते वक्त ललित उपाध्याय का सिधौना में फूल मालाओं से जोरदार स्वागत हुआ। फिर सैकड़ों बाइक सवार तिरंगा लिये उनकी अगुवाई करते हुए औड़िहार, बिहारीगंज के रास्ते उन्हें करमपुर ले आए। रास्ते भर तेजू भैया अमर रहें-ललित उपाध्याय जिंदाबाद के नारे लगते रहे। ललित उपाध्याय फूल मालाओं से सजी खुली जीप पर सवार थे। उनके साथ जीप पर भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी और करमपुर स्टेडिमय में ही तराशे गए राजकुमार पाल, अनिकेत सिंह, आशुतोष सिंह, स्टेडियम के कोच इंद्रदेव राजभर भी थे। स्टेडियम में पहुंचने पर ललित उपाध्याय पर प्रशिक्षु हॉकी खिलाड़ियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। ललित उपाध्याय ने नम आंखों से स्व. तेजू सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

स्वागत समारोह में मंचासीन लोगों में रमाशंकर सिंह हिरन, गंगासागर सिंह, पूर्व एमएलसी डॉ. कैलाश सिंह, बालेश्वर सिंह आदि थे। अध्यक्षता सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुदर्शन यादव ने की। मंच पर अंगवस्त्रम्, स्मृति चिन्ह तथा बुके देकर ललित उपाध्याय का स्वागत किया गया। मालूम हो कि ललित उपाध्याय टोक्यो रवानगी के लिए जब तैयारी कैंप में थे तभी तेजबहादुर सिंह तेजू कोरोना के कारण चल बसे थे।

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