भाजपाः अंसारी बंधुओं का गढ़ ढाहने की कवायद में बगावत का झटका

गाजीपुर। पंचायत चुनाव में भाजपा अंसारी बंधुओं का भांवरकोल ब्लॉक का गढ़ ढाह देने के फेर में है लेकिन उसकी इस कवायद में खुद के भीतर की बगावत बड़ी बाधा बनकर सामने आती दिख रही है। शायद यही वजह है कि नामांकन से पहले भाजपा के इलाकाई दिग्गज पार्टी के बागियों के मान मनौव्वल में जुट गए हैं लेकिन अभी तक उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली है। बल्कि बागी दो टूक जवाब देकर उन्हें उल्टे पांव लौटा दे रहे हैं।
भांवरकोल ब्लॉक में जिला पंचायत की कुल चार सीट है। लगभग हर सीट पर बागियों की आस्तीनें चढ़ी हैं। प्रथम सीट पर पार्टी सूरज यादव को टिकट दी है। सरजू यादव कभी सपा में थे लेकिन राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर के साथ भाजपा में आ गए और नीरज शेखर की ही पैरवी पर पार्टी का टिकट भी उनको मिल गया जबकि शेषनाथ यादव पुराने कार्यकर्ता की हैसियत से बहुत पहले से चुनाव की तैयारी में जुटे थे अब भी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं बल्कि उनका जनसंपर्क जारी है।
सबसे ज्यादा दबाव में भाजपा द्वितीय सीट को लेकर है। पिछले सीट पर संतोष राय जीत कर पार्टी का कब्जा दिलाए थे। इस बार यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई तो पार्टी अमित राय सोनू की पत्नी प्रिया राय को टिकट दे दी। सोनू विद्यार्थी परिषद के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं लेकिन इस सीट पर पार्टी के पूर्व मंडल अध्यक्ष और अमरूपुर के पूर्व ग्राम प्रधान मनोज पांडेय की निगाह थी। सो वह मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं और अपनी पत्नी अनिता पांडेय को किसी भी दशा में चुनाव लड़ाने का ताल ठोक रहे हैं। खुद को समझाने पहुंचे वरिष्ठ नेता विजयशंकर राय को निराश लौटा चुके हैं। विधायक अलका राय और उनके बेटे पीयूष राय को भी टका सा जवाब दे चुके हैं।
और तो और विधायक अलका राय के लिए खुद के गांव गोड़उर के रहने वाले अपने बेहद करीबी श्रीराम राय छन्नू की बागावत असहज कर रहा है। वह अपनी पत्नी ममता राय को तृतीय सीट से लड़ाने की तैयारी में है जबकि पार्टी रेखा राय पत्नी मुन्ना राय को टिकट दी है। कमोवेष यही स्थिति चतुर्थ सीट की है। इलाकाई कार्यकर्ताओं की मानी जाए तो इस सीट की उम्मीदवार प्रियंका राय पत्नी शालिन राय ऊपर से थोपी गई हैं। इसके पहले पार्टी के किसी कार्यक्रम में खुद शालिन राय तक का चेहरा नहीं दिखता था। इस सीट से श्रीराम राय, डॉ.रमेश राय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। जाहिर है कि इस दशा में कार्यकर्ताओं को प्रियंका राय की उम्मीदवारी सहजता से कबूल होती फिलहाल नहीं लग रही है।
राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इस बगावत की बुनियाद पर अंसारी बंधुओं को चुनौती भाजपा के लिए दूर की कौड़ी लग रही है। टिकट बंटवारे पर तीव्र असंतोष के लिए ज्यादतर कार्यकर्ता विधायक अलका राय को जिम्मेदार मान रहे हैं जबकि अलका राय इसे संगठन का निर्णय बता कर उन्हें किसी तरह शांत कराने की आखिरी कोशिश में लगी हैं।