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…जब अंसारी बंधुओं के घर तोड़फोड़ में तत्कालीन पुलिस अधिकारियों पर हुई थी एफआईआर

गाजीपुर। अंसारी बंधुओं के होटल ‘गजल’ पर डीएम कोर्ट का क्या फैसला आएगा। इसके जवाब को लेकर उनके समर्थक से लगायत विरोधी तक उत्सुक हैं।

इसके साथ ही लोगों को सन् 1992 के घटनाक्रम भी याद आने लगे हैं। तब अंसारी बंधुओं के घर ‘फाटक’ में कुर्की-जब्ती और जबरदस्त तोड़फोड़ हुई थी। परिवारीजनों संग दुर्व्यवहार तक हुआ था। तब अफजाल अंसारी मुहम्मदाबाद के विधायक थे। उस मामले को उन्होंने विधानसभा में रुंधे गले से उठाया था। शासन ने उसे गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए न्यायिक जांच का आदेश दिया था। जांच हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ज्ञानेंद्र कुमार ने की थी। उनकी जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई में शामिल रहे तत्कालीन एएसपी चंद्रदेव तिवारी, एसडीएम, चार डिप्टी एसपी के अलावा पुलिस तथा पीएसी के 300 अज्ञात जवानों के विरुद्ध तोड़फोड़, मारपीट, लूटपाट की एफआईआर दर्ज हुई थी। उसके चलते उनमें कई के प्रमोशन तक रुक गए थे। आखिर में उन्हें उसके लिए माफी मांगनी पड़ी थी। सरकार की ओर से अफजाल अंसारी के परिवार को दस लाख रुपये की क्षतिपूर्ति भी दी गई थी।

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खैर एक बार फिर अंसारी बंधुओं की संपत्ति ‘गजल’ पर ‘तोड़फोड़’ की नौबत आ गई है। 28 साल पहले ‘फाटक’ पर हुई कार्रवाई से जोड़ा जाए तो इसमें एक इत्तेफाक दिखता है कि उस वक्त सूबे में भाजपा की हुकूमत थी और इस वक्त भी सूबे में भाजपा की हुकूमत है। दूसरा इत्तेफाक यह कि उस वक्त भी हुक्मरानों के टारगेट मुख्तार अंसारी थे और आज भी हुक्मरानों के निशाने पर मुख्तार अंसारी हैं।

हालांकि दोनों मामलों के संदर्भ अलग-अलग हैं। फाटक पर कुर्की-जब्ती की कार्रवाई के पीछे मुगलसराय कोतवाली के पुलिस कर्मी की हत्या में मुख्तार अंसारी की फरारी थी। तब कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे जबकि मौजूदा प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं। उन्होंने मुख्तार अंसारी के ‘साम्राज्य’ को ध्वस्त करने का ऐलान कर दिया है। गजल को ध्वस्त करने की प्रशासनिक कवायद भी योगी के उसी ऐलान से जोड़ा जा रहा है।

शहर में महुआबाग स्थित होटल गजल की गहरी पड़ताल में प्रशासन ने पहला दोष पकड़ा कि उसके लिए भूखंड की हुई खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा हुआ। फिर दूसरा दोष मिला कि उसके निर्माण में मास्टर प्लान से स्वीकृत नक्शे का अतिक्रमण हुआ। इस आरोप में एसडीएम सदर ने होटल गजल को ढहाने का आदेश दिया। उनके आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। वहां इस मामले को डीएम कोर्ट में ले जाने का आदेश हुआ। उसके तहत डीएम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। उसका फैसला सुरक्षित है। जाहिर है कि डीएम कोर्ट पर ही निर्भर है कि अपने फैसले को वह कब सुनाएगा। यह उसका अधिकार क्षेत्र का विषय है लेकिन अंसारी बंधुओं और उनके करीबियों के विरुद्ध चल रही मुहिम पर नजर रखने वालों का अनुमान है कि डीएम कोर्ट का फैसला साप्ताहांत में आएगा। ताकि उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने से पहले गजल को ध्वस्त कर देने का मौका मिल जाए। यह अनुमान लगाने वाले अंसारी बंधुओं के करीबी डॉ.आजम कादरी के हॉस्पिटल शम्मे हुसैनी के ‘ध्वस्तीकरण’ का हवाला दे रहे हैं।

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