सक्रिय हैं कई गैंग, पुलिस अनजान, पैरेंट्स हलकान

गाजीपुर। स्टाइलिस्ट बाइक। स्टाइलिस्ट हेयर कटिंग और ब्रॉंडेड कपड़े। ब्रॉंडेड जूते। ब्रॉंडेड गॉगल। इस स्टाइलिस्ट अंदाज में शहर में कोई किशोर या युवक दिखता है तो मान लीजिए कि वह बंदा किसी न किसी गैंग से जुड़ा है।
शहर में ऐसे कई गैंग हैं। जैसे कटरा गैंग, डियर गैंग, ईगल गैंग, 7272 गैंग, 6262 गैंग वगैरह वगैरह। लगभग सभी गैंग में बड़े घरों की बिगड़ैल संतानें हैं। इनमें ज्यादातर स्कूल, कॉलेज के छात्र हैं। स्मोकिंग, ड्रिंकिंग का भी यह शौक रखते हैं। जायज-नाजायज असलहे भी इनके पसंदीदा आइटम बताए जाते हैं।
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एक गैंग दूसरे गैंग को कतई पसंद नहीं करता। अदावत इतनी कि आमना-सामना होने पर गाली-गलौज, मारपीट लगभग तय रहती है। चाकू, गोली से हमला, हत्या की हुई घटनाओं में कुछ गैंगवार का ही नतीजा रही हैं।
इन गैंगों में टकराव के कारण भी कोई बहुत बड़े नहीं होते। इलाकों में वर्चस्व, इलू-इलू, स्टंटबाजी में आगे निकलने की होड़ आदि को लेकर भी भिड़ने में इन्हें देर नहीं लगती।
ऐसे गैंग पर नजर रखने वालों की मानी जाए तो इनके संरक्षक, पैरोकार सफेदपोश लोग हैं जो अपने फायदे के लिए इनका इस्तेमाल करते रहते हैं। गैंग के मेंबर की पहचान यह भी है कि उसके बाइक के आगे गैंग का नाम अंकित रहेगा। फिर गैंग का मेंबर फेसबुक पर अपने प्रोफाइल में भी नाम के आगे गैंग का नाम दिया रहेगा। गैंग के नाम पर व्हाट्सअप ग्रुप भी बने हुए हैं। संबंधित मेंबर ग्रुप के जरिये बराबर आपस में जुड़े रहते हैं।
जाहिर है कि बड़े-बड़े और कुख्यात गैंगों के पीछे हाथ धोकर पड़ा पुलिस महकमा भी शहर के ऐसे गैंग की गतिविधियों से अनजान है। अपराध शास्त्र के पंडित ऐसे गैंग को अपराध की पौधशाला मानते हैं। उनका कहना है कि किशोरवय की अवस्था बड़ी नाजुक होती है। अगर इस पर अंकुश नहीं लगा तो आगे चलकर पथभ्रष्ट दिशा में कदम भटकने का खतरा बना रहता है।