नप चेयरमैन गरीब नहीं अमीरों की हैं असल खैरख्वाहः शम्मी

गाजीपुर। स्व-कर व्यवस्था दर में कटौती कर नगर पालिका चेयरमैन सरिता अग्रवाल और उनके पति पूर्व चेयरमैन विनोद अग्रवाल किस हद तक अपनी सियासत साध पाएंगे। इसका जवाब तो आगे मिलेगा लेकिन बुधवार को यह जरूर साफ हो गया कि आम नागरिकों के हितों को लेकर बराबर मुखर रहने वाले प्रमुख समाजसेवी विवेक सिंह शम्मी चेयरमैन दंपति को चैन से बैठने देने के मूड में कतई नहीं हैं।
इस मसले पर वह पत्रकार भवन में पत्रकारों से मुखातिब हुए। बोले कि इस फैसले से चेयरमैन दंपति का असल चेहरा बेनकाब हुआ है। हकीकत यही है कि चेयरमैन का यह फैसला नगर के गरीबों के साथ सरासर छलावा है। यह तो गरीबों के सामने रोटी का एक छोटा टुकड़ा फेंक कर उसकी आड़ में अमीरों का पेट भरने जैसा है।
अपनी इस बात को और स्पष्ट करते हुए प्रमुख समाज सेवी ने कहा कि अपनी जरूरतों में कटौती कर जोड़ी गई पाई-पाई से रहने भर को जैसे-तैसे घर बनाने वालों के लिए स्व-कर में मात्र 50 फीसद कटौती हुई है जबकि बड़े-बड़े मॉल, शो रूम और अन्य प्रतिष्ठानों के भवन बनवा कर हर माह हजारों-लाखों किराया वसूलने वालों के लिए सीधे 75 फीसद की कटौती का लाभ दिया गया है।
मालूम हो कि नगर पालिका परिषद की चेयरमैन सरिता अग्रवाल और उनके पति पूर्व चेयरमैन विनोद अग्रवाल ने अचानक बीते 29 दिसंबर को परिषद की आपात बैठक बुलाकर स्व-कर में कटौती का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कराया था। नागरिकों की दशक पुरानी मांग पूरी होने पर सभासदों ने चेयरमैन दंपति को फूल मालाओं से लाद दिया था लेकिन प्रमुख समाजसेवी विवेक सिंह शम्मी ने अपनी फौरी प्रतिक्रिया में ही उन्हें सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया था।
उन्होंने कहा था कि दस सालों तक आम नागरिकों के हित से जुड़े इस अहम मुद्दे को क्यों टाला गया। नागरिकों से जबरदस्ती दोगुने टैक्स की वसूली क्यों की जाती रही। इसके लिए शासनादेश का हवाला क्यों दिया जाता रहा और अब किस शासनादेश पर स्व-कर में कटौती की गई। शम्मी ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर अपनी अगुवाई में चले लंबे आंदोलन में बताते रहे कि यह शासनादेश नहीं चेयरमैन के स्व विवेक का मामला है। दोगुना कर वसूली के कारण दशक भर तक गरीब नागरिकों की जेब काटी गई। लोग कर्ज लेकर टैक्स भरते रहे। उन्होंने यह सवाल उठाया था कि और अब नागरिकों से वसूले गए अतिरिक्त टैक्स की भरपाई आखिर कैसे होगी। उन्होंने मांग की थी कि वसूले गए अतिरिक्त टैक्स का अगले दस साल में समायोजन की बात बिल्कुल फिजूल है। अगर चेयरमैन को आम नागरिकों के लिए सचमुच चेयरमैन दंपति के दिल में हमदर्दी है तो वह वसूले गए अतिरिक्त टैक्स को मय ब्याज लौटाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।