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जिला पंचायत: सैदपुर प्रथम सीट के नतीजे में लोचा! मतगणना का फॉर्म-49 गायब

गाजीपुर। जिला पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित हुए दो सप्ताह से अधिक हो चुके हैं लेकिन सैदपुर प्रथम सीट के नतीजे को लेकर लोगों का शक सुबहा खत्म नहीं हुआ है। बल्कि मतगणना के लापता फॉर्म-49 ने इसे और गहरा दिया है।

फॉर्म-49 के गायब होने की जानकारी बुधवार को तब हुई जब सपा के पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह आरओ राकेश बिहारी मल से मिलकर फॉर्म-49 देखने की बात कहे। आरओ ने फॉर्म-49 एआरओ पवन कुमार पांडेय के पास होने की बात कही। पवन कुमार पांडेय पहुंचे तो उन्होंने मतगणना के बाद ही उस फॉर्म को आरओ को सौंप दिए जाने की जानकारी दी। नस बात को लेकर दोनों अधिकारियों में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गए। आखिर में पूर्व सांसद को बैरंग लौटना पड़ा।

निर्वाचन आयोग की मतगणना प्रक्रिया में फॉर्म-49 बुनियादी कड़ी है। उस फॉर्म में हर उम्मीदवार को बूथवार पड़े वोट अंकित किए जाते है। उसके बाद फॉर्म-50 (रिजल्ट चार्ट) तैयार किया जाता है और उसके बाद फॉर्म-51 के जरिये अंतिम परिणाम घोषित किया जाता है। मालूम हो कि जिला पंचायत की सैदपुर प्रथम सीट पर पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह की पत्नी अंजना सिंह सपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। उनकी इस उम्मीदवारी से यह सीट वीआईपी हो गई थी और जिले भर के लोगों की निगाह इस पर लगी हुई थी। मतगणना के बाद गैर अधिकृत घोषणा में कभी अंजना सिंह की अपनी प्रतिद्वंद्वी निर्दल सपना सिंह (पंकज सिंह चंचल) से 1400 तो कभी 1200 मतों से पिछड़ने की बात कही गई। बल्कि इसी को सच मान प्रिंट व ऑनलाइन मीडिया के कुछ बैनरों में इस आशय की खबर भी जारी हो गई लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित नतीजे में मात्र 31 वोट के फासले से अंजना सिंह की हार की बात सामने आई।

इस नतीजे को लेकर आए विरोधाभाषी तथ्यों को आधार बनाते हुए पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह के एडवोकेट बेटे आलोक सिंह ने वोटों की फिर से गिनती कराने की मांग करते हुए आरओ को आवेदन पत्र दिया लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर खुद पू्र्व सांसद राधेमोहन सिंह डीएम से बात किए और उसी क्रम में वह फॉर्म-49 से वोटों का मिलान करने के लिए आरओ तक पहुंचे थे।

फॉर्म-49 के लापता होने की बात सामने आने पर पूर्व सांसद ने हैरानी जताते हुए कहा कि नतीजे को लेकर उनके समर्थकों के शक को और बल मिल रहा है। उनका कहना था कि फॉर्म-49 सहित मतगणना के अन्य दस्तावेज मिलने के बाद दोबारा मतगणना के लिए वह कोर्ट में जाएंगे।

वैसे भी चुनाव अभियान के बिल्कुल अंतिम दौर में अंजना सिंह के परिवार के मुखिया तेजबहादुर सिंह तेजू की कोरोना के चलते हालत खराब हो गई थी और पूरा परिवार चुनाव अभियान छोड़ कर उनकी सेवा-सुश्रुसा में जुट गया था। दुर्भाग्य यह कि डॉक्टरों के लाख प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका था।

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