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21 साल से मेडिकल कॉलेज में अंगद बना बैठा था मनसा यादव, योगी राज में आखिरकार उखड़ा पैर!

गाजीपुर : जिला अस्पताल में एक्सरे टेक्निशियन पद पर 2004 में नियुक्त हुए मनसा यादव को शुरुआत से ही मेडिको-लीगल मामलों का कार्यभार सौंपा गया। तब से लेकर अब तक वे उसी कुर्सी से ऐसे चिपके रहे मानो अंगद ने लंका में पाँव जमा दिया हो।

विभिन्न सरकारें आईं और गईं, लेकिन मनसा यादव की तैनाती पर कोई असर नहीं पड़ा। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में जब परंपरागत जड़ता पर प्रहार शुरू हुआ, तो उन लोगों के भी पैर हिलने लगे जो खुद को अडिग समझते थे।

सूत्रों की मानें, तो योगी सरकार में भी मनसा यादव का कई बार ट्रांसफर आदेश हुआ, लेकिन हर बार वह सिर्फ कागज़ों में ही सिमट कर रह गया। लगभग आठ महीने पहले उनका तबादला सोनभद्र के लिए हुआ था, लेकिन इसके बावजूद मनसा यादव गाजीपुर मेडिकल कॉलेज में ही बने रहे — बिल्कुल अपने “मनसा” के अनुसार।

सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब ट्रांसफर हो चुका था, तब भी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें रिलीव क्यों नहीं किया? अब जवाब भी सामने है — सूत्रों के मुताबिक, उच्चस्तर से आए दबाव के बाद प्रिंसिपल को मजबूरी में मनसा यादव को कार्यमुक्त करना पड़ा।

अब जबकि 21 साल से अंगद की तरह पैर जमाकर बैठे मनसा यादव को गाजीपुर से जाना ही पड़ा है, तो ये बदलाव सिर्फ ट्रांसफर नहीं, बल्कि बदलती व्यवस्था और जवाबदेही की दस्तक है।

मनसा यादव मेडिको-लीगल प्रकरणों में हमेशा चर्चा में रहे हैं। कई बार उन पर शिकायतें भी हुईं, लेकिन उनका “बाल भी बांका” नहीं हुआ। मगर अब लगता है कि सरकारी सिस्टम में पैर जमाकर बैठने वालों को भी हिलाया जा सकता है — बशर्ते इच्छाशक्ति हो!

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