हत्यारा फूलन देवी का, मुख्य अतिथि क्षत्रिय समाज का

गाजीपुर। दस्यू सुंदरी रही फूलन देवी के हत्यारा शेर सिंह राणा भले मल्लाह, निषाद समाज की नजर में खलनायक है लेकिन क्षत्रिय समाज की नजर में वह नायक से कम नहीं है। शायद यही वजह है कि महाराणा प्रताप क्षत्रिय समाज न्यास तुलसीपुर, गाजीपुर ने 17 जनवरी को आयोजित अपने महाराणा प्रताप खिचड़ी महोत्सव में शेर सिंह राणा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।
यह महोत्सव न्यास के मुख्यालय प्रताप भवन में आयोजित है। इसकी तैयारी जोरशोर से शुरू है। कोशिश है कि महोत्सव में गाजीपुर राजपूत समाज के `चौधुर` सहित मानिंदजन जरूर पहुंचे। इसके लिए निमंत्रण पत्र पर राजपूताना निमंत्रण अंकित कराया गया है। वह निमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया के जरिये भी उसे समाज के लोगों तक भेजा जा रहा है। निमंत्रण पत्र के मुताबिक महोत्सव की विशिष्ट अतिथि भाजपा विधायक सुनीता सिंह के अलावा पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील अरविंद सिंह, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष दुष्यंत सिंह व छपरा यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइसचांसलर प्रो.हरिकेश सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में महोत्सव में उपस्थित रहेंगे।
मालूम हो कि महाराणा प्रताप न्यास के संरक्षक पूर्व विधायक डॉ.राजकुमार सिंह संरक्षक हैं जबकि शहर के जानेमाने चिकित्सक द्वय डीपी सिंह और राजेश सिंह क्रमशः महामंत्री तथा उपाध्यक्ष हैं। न्यास के बहुप्रचारित महाराणा प्रताप खिचड़ी महोत्सव में शेर सिंह राणा जैसे विवादास्पद शख्सियत को मुख्य अतिथि बनाने की जरूरत क्यों आई। न्यास अध्यक्ष जयप्रकाश सिंह से फोन पर `आजकल समाचार` ने यह सवाल किया। उन्होंने कहा कि अव्वल तो वह कोलकाता में हैं। लिहाजा वह कुछ भी नहीं बता सकते।
…पर कौन हैं शेर सिंह राणा
राजपूत बिरादरी से ताल्लुक़ रखने वाले उत्तराखंड के रुड़की का रहने वाले शेरसिंह राणा 25 जुलाई 2001 को नई दिल्ली के अति सुरक्षित लुटियंस ज़ोन में तत्कालीन सांसद फूलन देवी की हत्या के दो दिन बाद देहरादून में आत्मसमर्पण कर उसका इल्ज़ाम खुद अपने सिर लिए। तब कहे कि वह बेहमई में फूलन के हाथों 22 राजपूतों के संहार का बदला लिए थे। हालांकि अपनी किताब ‘जेल डायरी' में उन्होंने पुलिस पर जुर्म क़ुबूल करवाने के लिए मजबूर करने का आरोप भी लगाया। 17 फरवरी 2004 को शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल से फ़रार हो गए। उसके दो साल बाद 17 मई 2006 को कोलकाता में गिरफ़्तार किए गए। तब उन्होंने एक चौंकाने वाला दावा किया। यह कि जेल से फ़रारी के बाद वह बांग्लादेश के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान गया और राजा पृथ्वीराज चौहान की क़ब्र खोजकर उनकी अस्थियां वह अपने साथ वापस भारत लाए। 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह जेवर सीट से निर्दल चुनाव लड़े। उनके इस नाटकीय जीवन पर ब़ॉलीवुड में फिल्म एंड ऑफ़ बैंडिट क्वीन बनी। उसमें शेर सिंह राणा का किरदार अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने निभाई। अगस्त 2014 में दिल्सी की निचली अदालत ने फूलन देवी हत्याकांड में शेर सिंह राणा को दोषी करार देते हुए उम्रकैद तथा एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। बाद में अक्टूबर 2016 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। शेर सिंह राणा के सिर पर 20 फरवरी 2018 को सेहरा बंधा। शेर सिंह राणा ने मध्य प्रदेश के मलेहरा छत्रपुर के रहने वाले पूर्व विधायक राणा प्रताप सिंह की बेटी प्रतिमा राणा संग सात फेरे लिए। प्रतिमा राणा राजनीतिक शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट हैं । उस मौके पर भी शेर सिंह राणा ने सबको चौंकाया था। उन्होंने कन्या पक्ष से मिले 31 लाख रुपये नकद और छतरपुर में ससुर के नाम डोलोमाइट की करीब दस करोड़ की खदान के कागजात यह कहकर लौटा दिए थे कि वे दहेज रहित शादी करेंगे।