संघर्ष की आँच में तपकर निकला सोना — डॉ. छत्रसाल सिंह ने हासिल की पीएच.डी., जनपद हुआ गौरवान्वित!
साधारण परिवार का बेटा, असाधारण बुलंदी तक पहुँचा — शिक्षा और सेवा दोनों में रचा इतिहास

गाज़ीपुर, 6 अक्टूबर 2025। कहते हैं कि हीरो वह नहीं होता जो पर्दे पर चमकता है, बल्कि वह होता है जो जीवन की कठिनाइयों में भी अपने सपनों की लौ जलाए रखता है।
ऐसे ही एक सच्चे हीरो हैं — ग्राम एवं पोस्ट मैनपुर (करंडा), गाज़ीपुर के निवासी डॉ. छत्रसाल सिंह, जिन्होंने संघर्ष, मेहनत और सेवा को अपना जीवनमंत्र बनाकर आज पूरे जनपद का मान बढ़ाया है।
साधारण किसान परिवार में जन्मे यादवेंद्र सिंह ‘लालबाबू सिंह’ और सरोज देवी ‘पप्पी सिंह’ के ज्येष्ठ पुत्र छत्रसाल सिंह ने कभी परिस्थितियों को अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दिया। आर्थिक सीमाओं और ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों के बीच भी उन्होंने शिक्षा को अपनी शक्ति बनाया और आज वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के 29वें दीक्षांत समारोह में अंग्रेज़ी विषय में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त कर गाज़ीपुर का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराया।
यह गरिमामयी उपाधि उन्हें आज महंत अवैद्यनाथ सभागार में आयोजित समारोह के दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं कुलपति प्रो. वंदना सिंह की उपस्थिति में प्रदान की गई।
डॉ. छत्रसाल बचपन से ही मेधावी रहे। उन्होंने बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई गाज़ीपुर के पी.जी. कॉलेज से पूरी की, जहाँ वे कॉलेज के टॉपर रहे। लेकिन उनकी असली पहचान सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं — उन्होंने समाजसेवा में भी अपना जीवन समर्पित किया।
कोरोना महामारी के संकट में जब हर कोई अपने घरों में सिमट गया था, तब छत्रसाल सिंह ने 135 दिनों तक लगातार गाँव-गाँव जाकर सेनेटाइजेशन अभियान चलाया। निस्वार्थ भाव से उन्होंने अब तक 40 बार रक्तदान किया और अनगिनत लोगों को जीवनदान दिया।
आज वे श्री विश्वनाथ पी.जी. कॉलेज, सुल्तानपुर के अंग्रेज़ी विभाग में सहायक प्राध्यापक (Assistant Professor) के रूप में कार्यरत हैं और नई पीढ़ी के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं कि “संघर्ष ही सफलता का असली शिक्षक होता है।”
समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी तथा जिओ इंफोकॉम के सेल्स हेड श्री सुनील दत्त (जिन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली) विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कुल 79 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल, 444 को पीएच.डी. और 02 को डी.लिट. की उपाधि दी गई।
समारोह में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएँ, शिक्षाविद् एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे, जिन्होंने गाज़ीपुर के इस बेटे के संघर्षमयी सफर को सलाम किया।