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मऊ के महरूम विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को सुप्रीम राहत: मऊ जाते समय गाज़ीपुर में तीन रात ठहरने की मिली इजाज़त

नई दिल्ली/ गाजीपुर । मऊ के पूर्व विधायक और कद्दावर नेता मुख्तार अंसारी के बेटे तथा वर्तमान विधायक अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गैंगस्टर एक्ट मामले में अंतरिम जमानत पर चल रहे अब्बास को अब जब वह अपने निर्वाचन क्षेत्र मऊ जाएंगे, तो रास्ते में गाज़ीपुर स्थित अपने पैतृक आवास पर अधिकतम तीन रातों तक ठहरने की अनुमति मिल गई है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 मार्च 2025 को अंतरिम जमानत देते हुए उन्हें केवल लखनऊ स्थित सरकारी आवास में रहने और मऊ की यात्रा की पूर्व अनुमति के साथ सीमित रूप से ही इजाज़त दी थी। अब कोर्ट ने इस शर्त में संशोधन करते हुए मानवीय दृष्टिकोण अपनाया है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट में क्या हुआ?
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो अब्बास अंसारी की ओर से पेश हुए, ने कोर्ट को बताया कि लखनऊ से मऊ की दूरी 300 किलोमीटर से ज्यादा है और एक ही दिन में जाकर लौटना संभव नहीं है। उन्होंने तर्क दिया,
“अगर अदालत ने सिर्फ निर्वाचन क्षेत्र जाने की अनुमति दी है और गाज़ीपुर में ठहरने से मना किया है, तो वह कहां ठहरेंगे? उन्हें हर बार लखनऊ लौटना पड़ेगा।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह दलील स्वीकार करते हुए कहा,
“जब याचिकाकर्ता मऊ जाए, तो वह रात में गाज़ीपुर स्थित अपने आवास पर ठहर सकता है। यह प्रवास सार्वजनिक बैठक के लिए नहीं होगा और अधिकतम तीन रातों तक सीमित रहेगा।”

एएसजी केएम नटराज ने एक स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी, जिसे बाद में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को साझा करने का निर्देश दिया। रिपोर्ट में यह बताया गया कि अब्बास अंसारी की अन्य आपराधिक मामलों में गैर-हाजिरी से ट्रायल प्रभावित हो रहा है। इस पर कोर्ट ने माना कि यह शायद उनकी जमानत की सख्त शर्तों के चलते हुआ हो।

अब्बास अंसारी के खिलाफ 31 अगस्त 2024 को चित्रकूट के कोतवाली कर्वी थाने में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी सोशल एक्टिविटीज (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा 2/3 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने आर्थिक लाभ के लिए एक संगठित गिरोह का नेतृत्व किया जो लोगों को धमका कर, मारपीट कर और वसूली कर रहा था।

हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 मार्च को उन्हें कुछ सख्त शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी थी।

राजनीतिक और मानवीय नजरिए से महत्वपूर्ण है यह राहत :
पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी, जिनका हाल ही में निधन हुआ, पूर्वांचल की राजनीति में एक प्रभावशाली नाम रहे हैं। उनके बेटे अब्बास अंसारी को मिली यह राहत न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि मऊ और गाज़ीपुर की सियासी ज़मीन पर भी इसका असर पड़ सकता है।

अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की इस राहत के बाद अब्बास अंसारी कितनी सक्रियता से अपने क्षेत्र में जनता से जुड़ते हैं और कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करते हैं।

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