बगावत, लामबंदी और भाजपा मोह के कॉकटेल में चेतनारायण ‘अचेत’!

गाजीपुर। शिक्षक एमएलसी के चुनाव में आखिरकार चेतनारायण सिंह का अभेद किला ढह गया। सपा समर्थित लालबिहारी यादव के हाथों वह परास्त हो गए। चुनाव अभियान के वक्त ही यह तस्वीर साफ हो गई थी।
चुनाव परिणाम को लेकर शिक्षक समुदाय में हो रही समीक्षा का भी यही निष्कर्ष सामने आ रहा है कि खुद के गुट में बगावत, सपा के पक्ष में वित्तविहीन शिक्षकों की मजबूत लामबंदी और भाजपा के प्रति मोह के चलते चेतनारायण सिंह की मिट्टी पलीद हुई। जीत की हैट्रिक लगाने की उनकी साध जहां की तहां रह गई और वह आखिरी चुनाव परिणाम में सीधे तीसरे नंबर पर आ गए।
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चेतनारायण सिंह की अगुवाई वाले माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश सिंह ने बगावत कर उन्हीं के खिलाफ ताल ठोक दी। उन्होंने अपने गृह जिला जौनपुर में चेतनारायण सिंह की हवा निकाल दी। इधर वित्तविहीन शिक्षक भी इन्हें छोड़ कर सपा के लालबिहारी यादव के समर्थन में लामबंद हो गए जबकि चेतनारायण सिंह इनको अपना वोट बैंक मान रहे थे। मानते भी क्यों नहीं। इन्हीं की देन थी कि वित्तविहीन शिक्षकों को मताधिकार हासिल हुआ था। पिछले चुनाव में यह वोट बैंक उनके साथ था भी लेकिन इस बार वित्तविहीन शिक्षक चेतनारायण सिंह से विदके क्यों। जानकारों का कहना है कि वित्तविहीन शिक्षकों में समाजवादी विचारधारा वालों की बाहुलता है और इस बात की अनदेखी कर चेतनारायण सिंह बेहिचक भाजपा के पाले में जाकर बैठ गए। हालांकि नामांकन से पहले ‘आजकल समाचार’ से बातचीत में उन्होंने कहा था कि वह भाजपा से न टिकट और न समर्थन ही मांगेंगे लेकिन भाजपा जब उन्हें समर्थन देने का एलान की तब उनकी ओर से कोई आपत्ति नहीं आई। बल्कि वह अपने गले में रामनामी दुपट्टा डाल भाजपा नेताओं संग वह नामांकन करने भी पहुंच गए थे। उनके इस भगवा अंदाज से मुस्लिम शिक्षक वोटर भी दूर हो गए।
वैसे चेतनारायण सिंह की हार की पटकथा में गाजीपुर को भी एक अध्याय माना जा सकता है। लगातार दो चुनाव हारने के बाद साल 2008 के चुनाव में गाजीपुर के शिक्षकों ने चेतनारायण सिंह को हाथोंहाथ लिया था। यहां तक की माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के नेताओं ने खुलेआम बगावत कर चेतनारायण सिंह का साथ दिया था लेकिन वह उनके इस एहसान को भुलाते चले गए। साल 2014 के चुनाव में जीत के बाद चेतनारायण सिंह के कोर ग्रुप से गाजीपुर के जाने पहचाने शिक्षक नेताओं का नाम भी कट गया।
चेतनारायण सिंह की हार में भाजपा कनेक्शन को लेकर माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के गाजीपुर के पूर्व जिलाध्यक्ष रामानुज सिंह दूसरा पहलू भी बताते हैं। उनका कहना है कि अमूनन शिक्षक अपनी सहुलियत के मामले में सरकारी व्यवस्था को लेकर असहजता महसूस करते हैं। जाहिर है कि उस दशा में चेतनारायण सिंह का सत्तधारी भाजपा से गठजोड़ आम शिक्षकों को रास नहीं आया। फिर तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण, वेतन विसंगति के अहम मुद्दों पर भी एमएलसी रहते चेतनारायण सिंह ने शिक्षकों को निराश ही किया था जबकि इन्हीं मुद्दों को लेकर वाराणसी क्षेत्र से वह शर्मा गुट को बेदखल किए थे।