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“प्राचार्य या पद यात्रा पर निकले संत?” – पीजी कॉलेज मलिकपुरा बना ‘हाजिरी मेला’, जहां बाबू लूटे हस्ताक्षर और प्राचार्य जी गायब!

गाजीपुर | 8 अप्रैल 2025

गाजीपुर स्थित पीजी कॉलेज मलिकपुरा में इन दिनों पढ़ाई से ज़्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है कॉलेज प्रशासन और खासकर—प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह का रहस्यमयी “ग़ायब होना”। हालात ऐसे हैं कि मानो प्राचार्य जी किसी ‘पलायनवादी साधु' की तरह हो गए हों, जिनका कॉलेज में होना एक रहस्य से कम नहीं।

कॉलेज परिसर में उनके ऑफिस के बाहर तो बोर्ड चमकता है—“आयोग द्वारा चयनित”, लेकिन उनके आने-जाने और उपस्थिति को लेकर सच्चाई कुछ और ही बयां करती है।


“Out of Syllabus” – जब प्राचार्य कॉलेज में नहीं होते

आज दिनांक 8 अप्रैल 2025, कॉलेज पूरी तरह खुला है। छात्र-छात्राएं क्लास में मौजूद हैं, शिक्षक उपस्थित हैं…
मगर प्राचार्य जी?
“Out of Syllabus!”

कॉलेज के सूत्रों का दावा है:

“सर जी हफ्ते में एक-दो बार आते हैं। रजिस्टर में साइन नहीं करते, सिर्फ अपने खास बाबू को देखकर हल्की सी मुस्कान देकर चले जाते हैं।”


हाजिरी रजिस्टर बना “गुप्त दस्तावेज”, बाबू बना सचिवालय

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कॉलेज का हाजिरी रजिस्टर अब ऑफिस में नहीं, बल्कि प्राचार्य जी के ‘खास बाबू' के पास रखा जाता है।
हर स्टाफ वहीं जाकर साइन करता है, लेकिन प्राचार्य खुद उस रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं करते।
उनके दस्तखत सिर्फ “सीन” होते हैं—जैसे किसी तंत्र मंत्र की विद्या चल रही हो।

कॉलेज से ही वायरल हुआ एक वीडियो अब पूरे मामले की पोल खोल रहा है, जिसमें प्राचार्य का ऑफिस खाली पड़ा दिख रहा है और स्टाफ खुद को ईमानदार साबित करने में व्यस्त है।


अब उठते हैं तीखे सवाल:

  • क्या आयोग द्वारा चयनित प्राचार्य का काम सिर्फ बोर्ड पर नाम टांगना है?
  • क्या पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अधिकारी इन हालात से अनजान हैं या जानबूझकर मौन साधे हुए हैं?
  • क्या अब कॉलेज बाबुओं के भरोसे चलेंगे और प्राचार्य ‘आउटसोर्स’ किए जाएंगे?

अगर यही हालात रहे, तो शिक्षा व्यवस्था सिर्फ डिग्री बांटेगी—ज्ञान नहीं।
PG कॉलेज मलिकपुरा का यह ‘प्राचार्य-प्रकरण’ पूर्वांचल की उच्च शिक्षा प्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है।


प्राचार्य का पक्ष: “हमें बदनाम करने की साजिश है”

जब इस मामले में प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया:

“मैं कॉलेज आता हूं। विश्वविद्यालय से लेकर क्षेत्रीय कार्यालयों तक काम होता है, वहां भी जाना पड़ता है। हमारे कॉलेज के बाबू रिपुंजय सिंह के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, वह जेल भी जा चुके हैं।”

उन्होंने आगे बताया:

“दिनांक 27 मार्च 2025 को हमने उन्हें 31 लाख 50 हजार रुपए की रिकवरी का पत्र रिसीव कराया है। इसके बाद से वह हमें बदनाम करने के लिए वीडियो बनाकर वायरल कर रहे हैं।”

प्राचार्य ने यह भी बताया कि जबसे रिंपुजय को  रिकवरी लेटर रिसीव कराया हूं। वह मुझे जान से मारने की धमकी भी दिये हैं। इसकी शिकायत हम पुलिस अधीक्षक से लेकर शादियाबाद थाना अध्यक्ष को कर चुका हूं।


अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग और पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है—या फिर यह खबर भी अन्य चर्चाओं की तरह समय के गर्त में दब जाएगी।


 

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