डॉ. अपराजिता सिंह ने गाजीपुर का नाम किया रोशन: दवा कचरे से बनाए स्मार्ट सैनिक वस्त्र, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया प्रशस्ति पत्र

गाजीपुर । कभी गंगा किनारे के छोटे से कस्बे में खेलने वाली एक बच्ची आज भारत की रक्षा प्रणाली में क्रांति लाने जा रही है। गाजीपुर की डॉ. अपराजिता सिंह, जिन्होंने ब्लिस्टर पैक अपशिष्ट (दवा उद्योग से निकलने वाला कचरा) से स्मार्ट मिलिट्री फैब्रिक बनाकर देश के वैज्ञानिक और रक्षा जगत को चौंका दिया है, अब पूरे देश की प्रेरणा बन चुकी हैं। उनके इस अभिनव कार्य के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने स्वयं उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है।
मेहनत, लगन और विज्ञान की मिसाल
NIFT भुवनेश्वर में पढ़ाई कर रही डॉ. अपराजिता का सपना सिर्फ एक डिग्री पाना नहीं था, बल्कि विज्ञान को समाज और देश की सेवा में लगाने का दृढ़ संकल्प था। उन्होंने देखा कि दवा उद्योग से निकलने वाला गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा, खासकर ब्लिस्टर पैक, पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रहा है। वहीं, सैनिकों की सुरक्षा में तकनीकी प्रगति की भी ज़रूरत महसूस की। इन दोनों चुनौतियों को एक साथ हल करने के इरादे से उन्होंने इस रिसर्च की शुरुआत की।
कचरे से कवच: विज्ञान का नया अवतार
अपराजिता ने इस कचरे को थर्मल प्रोसेसिंग और नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से झटका-प्रतिरोधी, प्रवाहकीय और लचीली सामग्री में बदल दिया।
ग्रेफीन, कार्बन नैनोट्यूब्स, केव्लर लेयरिंग, और बायो-सेंसर्स जैसी तकनीकों का उपयोग कर उन्होंने ऐसे टेक्सटाइल्स तैयार किए, जो न केवल गोलियों से सुरक्षा देते हैं, बल्कि सैनिकों की हृदयगति, तापमान और तनाव स्तर की निगरानी भी कर सकते हैं। यह फैब्रिक रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग और संवाद के लिए भी सक्षम है।
राजनाथ सिंह का सम्मान: एक बेटी को मिला देश का आशीर्वाद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डॉ. अपराजिता की इस उपलब्धि को भारत के लिए “स्ट्रेटेजिक इनोवेशन” बताते हुए उन्हें दिल्ली में प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। उन्होंने कहा, “देश को ऐसी बेटियों पर गर्व है, जो विज्ञान को राष्ट्र रक्षा में बदल रही हैं।” यह सम्मान सिर्फ अपराजिता के लिए नहीं, बल्कि उन हर युवा के लिए एक संदेश है जो सपने देखने का साहस रखते हैं।
एक बेटी की कहानी, जो प्रेरणा बन गई
गाजीपुर की प्रोफेसर कॉलोनी लंका से निकली यह होनहार वैज्ञानिक आज करोड़ों बेटियों के लिए आदर्श बन गई हैं। उनके पिता की आँखों में गर्व है, माँ के चेहरे पर संतोष, और उनके शहर को यह अहसास कि अपराजिता जैसी बेटियाँ किसी भी सीमा को पार कर सकती हैं।
भावी योजनाएँ और व्यापक प्रभाव
डॉ. अपराजिता अब इस टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर लागू करने और अन्य औद्योगिक कचरे के लिए भी समान नवाचार विकसित करने की दिशा में काम कर रही हैं। उनका सपना है कि हर सैनिक को ऐसा सुरक्षा कवच मिले, जो विज्ञान की शक्ति और देश की बेटियों की मेहनत से बना हो।