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जब ‘शिक्षा का मंदिर’ भी ‘शीक्षा का मंदीर’ बन जाए, तब समाज का मौन भी अपराध बन जाता है!

गाजीपुर (जखनिया), 10 अप्रैल 2025।

ज्ञान का दीपक जलाने वाले हाथों से जब शब्दों की हत्या होने लगे, तब सवाल उठते हैं। ऐसा ही एक दृश्य सामने आया गाजीपुर जनपद के जखनिया क्षेत्र के गांव अलिपुर-मदरा से, जहां एक इंटर कॉलेज के कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के स्मार्ट बोर्ड पर ‘शीक्षा का मंदीर’ लिखा गया और फिर उस पर गर्व से हस्ताक्षर भी किए गए।

वीडियो में अभिनव सिन्हा कॉलेज के स्मार्ट बोर्ड पर कुछ लिखते हुए नजर आ रहे हैं। उनके साथ मंच पर गाजीपुर लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी पारस नाथ राय भी खड़े हैं, जो बच्चों को उसी गलत लिखे हुए शब्द का महत्व समझा रहे हैं—बिलकुल सहज भाव से, मानो कुछ गलत हो ही न।

यह वही पारस नाथ राय हैं, जो लोकसभा चुनाव के दौरान खुद को “चाणक्य का शिष्य” बताते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों पर तीखे कटाक्ष करके सोशल मीडिया पर चर्चित रहे थे। लेकिन आज जब उनके सामने ‘शिक्षा’ की जगह ‘शीक्षा’ और ‘मंदिर’ की जगह ‘मंदीर’ लिखा गया, तब उनका चाणक्यत्व मौन हो गया और वह उसी ग़लत शब्द पर ज्ञान का भाषण देने लगे।

शब्दों की ये त्रुटि सामान्य हो सकती है, लेकिन जब मंच से यह शिक्षा दी जाए, तो वह बच्चों के मन-मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव छोड़ सकती है। शिक्षक के एक वाक्य, एक शब्द से बच्चे सीखते हैं — और जब वही शब्द ग़लत हो, तो शिक्षा की जड़ें हिल जाती हैं।

गाजीपुर के जखनिया क्षेत्र को कभी पूर्वांचल की शिक्षा की भूमि माना जाता था। यहां के कॉलेजों में नेपाल सहित देशभर से छात्र पढ़ने आते थे। कहा जाता था – “जो जखनिया से पास नहीं हो सकता, वह कहीं से भी नहीं हो सकता।” मगर आज वही क्षेत्र व्याकरणिक अज्ञान और सतही प्रदर्शन का गवाह बन रहा है।

सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। लोग टिप्पणियों और शेयर के ज़रिए इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। किसी ने लिखा, “जब शिक्षक ही शब्दों से ग़लत व्यवहार करे, तो फिर विद्यार्थियों से क्या अपेक्षा?” तो किसी ने इसे शिक्षा व्यवस्था पर करारा तमाचा बताया।

अब सवाल यह नहीं है कि गलती किससे हुई — सवाल यह है कि उस गलती को नज़रअंदाज़ करके, उस पर ही भाषण दिया गया।

 

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