टॉप न्यूज़ताजा ख़बरेंराजनीति

गाजीपुर की सियासत में ‘योगी टीम’ की एंट्री — क्या भाजपा में नया शक्ति संतुलन तैयार हो रहा है?

गाजीपुर/लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुधवार का दिन असाधारण था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिसियल सोशल मीडिया अकाउंट से एक तस्वीर ने ऐसा सियासी भूचाल ला दिया, जिसकी गूंज गाजीपुर से दिल्ली तक सुनाई दी।

इस तस्वीर में गाजीपुर के चार प्रमुख भाजपा नेता —

  • रामतेज पांडेय (प्रदेश कार्यसमिति सदस्य)
  • अरुण सिंह (जमीनी संगठनकर्ता)
  • विशाल सिंह चंचल (विधान परिषद सदस्य)
  • दिनेश वर्मा (वरिष्ठ भाजपाई नेता)
    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट करते नजर आ रहे हैं।

इस तस्वीर ने सिर्फ “शिष्टाचार भेंट” का संदेश नहीं दिया — बल्कि इससे राजनीतिक विश्लेषकों के बीच यह सवाल तेजी से उठा:
“क्या यह संयोग था? या एक सधा हुआ प्रयोग?”

भाजपा के भीतर उबलते असंतोष को नया नेतृत्व मिल रहा है?

कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक बयान और मीम पहले ही माहौल को गर्म कर चुका था:

“गाजीपुर से जब धारा 370 हटेगा, तभी भाजपा का उदय होगा।”

और फिर वायरल हुआ मीम, जिसने माहौल में और बारूद भर दिया:

“चचा जब बोलते हैं तो सब लोग सुनते हैं,
और जब चचा न बोले तो मैटर गंभीर है…
अब के समझावे जाए?”

यह सिर्फ सोशल मीडिया की हलचल नहीं थी — यह उस आक्रोश की अभिव्यक्ति थी, जो गाजीपुर के कार्यकर्ताओं के दिल में उबल रहा है।

गाजीपुर में भाजपा की नई धारा बन रही है?

एक स्थानीय नेता का बयान गौर करने लायक है:

“कमल तभी खिलेगा, जब जड़ों को पानी मिलेगा… सिर्फ पोस्टर से खेत नहीं लहलहाते।”

यह बयान उस भीतरखाने की तंगहाली को उजागर करता है, जिसमें जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी और ऊपर से थोपे गए नेतृत्व के खिलाफ गुस्सा साफ़ झलकता है।

राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा आम हो गई है कि गाजीपुर में अब भाजपा की धुरी बदलेगी, चेहरों के साथ चरित्र भी बदलेगा।”

दिल्ली तक जाएगा असर?

गाजीपुर सिर्फ एक जिला नहीं, बल्कि पूर्वांचल की राजनीतिक नब्ज है। यहां की हलचल अक्सर पूरे प्रदेश की दिशा तय करती है।
अगर यहां भाजपा की राजनीति में नया संतुलन बनता है, तो इसका असर 2027 तक की सियासी बुनियाद पर पड़ सकता है।

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker