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ग़ाज़ीपुर में इंसाफ़ की लड़ाई: मेडिकल कॉलेज में रोक के खिलाफ कल डीएम को सौंपेंगे ज्ञापन

ग़ाज़ीपुर। यह किसी व्यक्तिगत झगड़े की बात नहीं, बल्कि उन लावारिस लाशों और गरीब मरीजों की व्यथा है, जिन्हें अब अस्पताल में भी सहारा नहीं मिलेगा। समाजसेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले कुँवर वीरेन्द्र सिंह, जिन्हें लोग “लावारिसों का वारिस” कहते हैं, पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आनन्द मिश्रा ने फरमान जारी कर दिया कि वे अस्पताल में न आएँ।

यह निर्णय सुनकर ग़ाज़ीपुर की जनता का दिल दहल उठा। क्योंकि यही वही कुँवर वीरेंद्र सिंह हैं, जिन्होंने सैकड़ों लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर उन्हें सम्मान दिया और अनगिनत गरीब मरीजों की मदद की। अब सवाल उठता है कि –
क्या समाजसेवा अपराध हो गया है?
क्या अस्पताल जनता की जगह प्रिंसिपल की निजी जागीर है?

इस अन्याय के खिलाफ कल दिनांक 28/08/2025 को सुबह 11:00 बजे आदरणीय जिलाधिकारी ग़ाज़ीपुर को एक प्रार्थना पत्र सौंपा जाएगा। इस पत्र में कुँवर वीरेन्द्र सिंह ने खुद लिखा है –
मेरा और प्राचार्य डॉ. आनन्द मिश्रा का निष्पक्ष जाँच कराइए। अगर मैं दोषी हूँ तो मुझ पर कार्रवाई कीजिए, और अगर प्राचार्य दोषी हैं तो उन पर कार्रवाई कीजिए।

ग़ाज़ीपुर के समाजसेवियों और सम्मानित नागरिकों ने फेसबुक पर इस फरमान का विरोध शुरू कर दिया है और जनता से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में जिलाधिकारी कार्यालय पहुँचे

कुँवर वीरेंद्र सिंह ने कहा –
अस्पताल कोई निजी संपत्ति नहीं, यह जनता की सेवा का स्थान है। यदि प्राचार्य को मेरी उपस्थिति से समस्या है तो पुलिस को सूचित करें, लेकिन समाजसेवा पर रोक लगाना मानवीय मूल्यों पर प्रहार है।

यह घटना न केवल ग़ाज़ीपुर बल्कि पूरे समाज के लिए हृदय विदारक प्रश्न छोड़ जाती है –
क्या हम उस दौर में लौट रहे हैं जहाँ इंसानियत से बड़ी कुर्सी हो गई है?

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