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किसानों को आलू का बाजार भाव उकसा रहा मगर बीज का भाव डरा रहा

गाजीपुर (राहुल पांडेय)। निःसंदेह आलू की खेती के मामले में प्रदेश के चुनिंदे अगुवा जिलों में गाजीपुर का भी नाम है मगर यहां के किसान सांसत में हैं। एक ओर तो बाजार में चढ़ा भाव उन्हें आलू की खेती के लिए उकसा रहा है। दूसरी ओर अति महंगा बीज उनकी हिम्मत तोड़ रहा है।

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गाजीपुर में आलू की सर्वाधिक खेती सदर और मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र में होती है। पिछले साल कुल करीब साढ़े छह हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती हुई थी और इस साल करीब साढ़े आठ हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती का अनुमान है। इस बढ़ोतरी के कारण की चर्चा पर जिला उद्यान अधिकारी सत्येंद्र दूबे मानते हैं कि आलू का चढ़ा बाजार भाव किसानों को खेती के लिए आकर्षित कर रहा है।

चार साल बाद भाव में उछाल

आलू का भाव काफी टाइट चल रहा है। बाजार में मौजूदा फुटकर भाव 38 से 40 रुपये किलो चल रहा है जबकि थोक भाव लगभग 3600 रुपये कुंतल है। थोक व्यापारी अतीक राईनी बताते हैं-आलू के भाव में यह उछाल करीब चार साल बाद आई है। कारण यह कि पिछले सत्र में मौसम की मार से आलू की पैदावार चौपट हुई। गाजीपुर में अक्टूर-नवंबर में मांग की पूर्ति पंजाब से होती है लेकिन इस वक्त पंजाब में ही भाव ऊपर है। गाजीपुर के व्यापारियों को ही पंजाब से आलू मंगाने पर प्रति किलो 50 रुपये का खर्च बैठ रहा है। एक यह भी कि पंजाब से मंगाए गए नए आलू के ठहराव का जोखिम है।

बीज की कीमत भी दोगुनी

यह ठीक है कि छोटे से लगायत बड़े किसान तक मौजूदा बाजार भाव को लेकर काफी उत्सुक, उत्साहित हैं लेकिन बीज की दोगुनी कीमत उन्हें डरा रही है। मुहम्मदाबाद क्षेत्र के जागरुक किसान शेख अब्दुल्लाह कहते हैं-किसान को बीज 3600-4000 रुपये कुंतल पड़ रहा है जबकि पिछले साल यह दर 1500-1800 रुपये कुंतल थी। जाहिर है कि खेती की  लागत भी दोगुनी हो गई है। इस दशा में किसान किसी तरह हिम्मत जुटा रहा है लेकिन मौसम की तल्खी और आगे के भाव को लेकर सशंकित भी है।

सरकारी फरमान भी अटपटा!

आलू के भाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार का फारमान आया कि 31 अक्टूबर तक सभी कोल्ड स्टोरेज से आलू की निकासी कर दी जाए। बकौल जिला उद्यान अधिकारी सत्येंद्र दूबे, सरकार के निर्देश के तहत गाजीपुर के सभी कोल्ड स्टोरेज से लगभग 95 फीसद आलू की निकासी हो चुकी है। शेष आलू किसानों का रुका है। गाजीपुर में कुल 40 कोल्ड स्टोर हैं। इनमें 38 चालू हैं। इनमें कुल एक लाख 80 हजार मेट्रिक टन आलू रखे गए थे। किसानों का कहना है कि वह बीज के लिए भी आलू कोल्डस्टोर में रखे थे, लेकिन सरकार के कहने पर उनको अपना बीज का आलू भी निकालना पड़ा जबकि बोवाई बाद में करनी है। अब कोल्डस्टोर से निकले आलू की बीज के लिहाज से गुणवत्ता बचाए रखना चिंता का विषय बन गया है।

…और सरकारी मदद ऊंट के मुंह में जीरा

अक्षम किसानों को सरकार हर साल रियायत दर पर बीज मुहैया कराती है मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा की ही तरह है। जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार कुल करीब 150 किसानों को 200 कुंतल बीज प्रति कुंतल साढ़े 2100 की दर से उपलब्ध कराया गया है।

     

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