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कल अनुपस्थित, आज स्वागतकर्ता — क्या शिक्षा विभाग में अनुशासन से बड़ा है रसूख?

गाजीपुर, 16 जुलाई 2025। आज का दिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री हेमंत राव के लिए विशेष रहा। गाजीपुर जनपद में उनके सफल चार वर्षों के कार्यकाल की पूर्णता पर विशिष्ट बी.टी.सी. शिक्षक संघ द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। फूलों के गुच्छे, माला और शुभकामनाओं के साथ शिक्षकों ने उन्हें सम्मानित किया और उनके योगदानों को सराहा।

विदित हो कि हेमंत राव ने 16 जुलाई 2021 को जनपद हरदोई से स्थानांतरित होकर गाजीपुर में कार्यभार ग्रहण किया था। इन चार वर्षों में उन्होंने परिषदीय शिक्षा व्यवस्था को नए आयाम दिए —
ऑपरेशन कायाकल्प, निपुण भारत मिशन, जर्जर भवनों का कायाकल्प, जनपद स्तरीय खेलकूद, और सबसे उल्लेखनीय योगदान 700 विद्यालयों में स्मार्ट टीवी की स्थापना, जिसे स्वयं बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने गाजीपुर में आकर लोकार्पित किया।

कार्यक्रम में अनंत सिंह, दुर्गेश प्रताप सिंह, प्रमोद उपाध्याय, विजय नारायण यादव, अनिल कुमार, संतोष कुशवाहा, नागेश्वर राम, राम विलास, संजय तिवारी, ओमप्रकाश सिंह और मनीष सहित कई शिक्षक मौजूद रहे।

लेकिन…

इसी स्वागत समारोह की छांव में एक ऐसा संयोग छिपा है, जिसे संयोग कहें या संकेत — यह सोचने पर विवश करता है।
करंडा के एबीएसए रविन्द्र सिंह ने सिर्फ एक दिन पहले यानी 15 जुलाई को बीटीसी संघ के जिलाध्यक्ष अनंत सिंह के विद्यालय माहेपुर-मैनपुर का औचक निरीक्षण किया था।
परिणाम — अनंत सिंह सहित 6 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए।

और आज?
वही अनंत सिंह बीएसए हेमंत राव का सम्मान कर रहे हैं।
क्या यह महज इत्तेफ़ाक है?
या फिर एक सधे हुए संदेश की प्रस्तुति — “हम जहाँ चाहें वहाँ पहुंच सकते हैं!”
क्या यह प्रशासनिक कार्रवाई का प्रतिरोध है या सिस्टम के भीतर की राजनीति?

शिक्षा विभाग के अनुशासन और पारदर्शिता पर यह घटनाक्रम कई सवाल छोड़ता है।
एक ओर ईमानदार प्रयासों से शिक्षा में क्रांति लाने वाले बीएसए हेमंत राव का सम्मान,
दूसरी ओर अनुपस्थित शिक्षक संघ नेताओं का मंच पर नेतृत्व।

बीसए हेमंत राव जी ने ‘आजकल समाचार'  के वाट्सप पर  मैसेज भेजे कि अनंत सिंह इस स्वागत कार्यक्रम में नहीं थे। जबकि इस कार्यक्रम का प्रेस विज्ञप्ति अनंत सिंह ने ‘आजकल समाचार' के वाट्सप पर भेजे ।

अनंत सिंह कार्यक्रम में उपस्थित न होते हुए भी ऐसा प्रचार अपना क्यों कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब तो अनंत सिंह ही दे पायेगें!

क्या शिक्षा का यह चेहरा उम्मीद जगाता है या चिंता?

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