कजरी के सुरों में सावन की पीड़ा और संस्कृति की पुकार, ‘चेतना-प्रवाह’ में बही विरह की भावधारा — डॉ. अपराजिता सिंह सम्मानित

गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में आयोजित ‘चेतना-प्रवाह' कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार को नगर के गोलाघाट स्थित बाबा जागेश्वरनाथ मंदिर परिसर में कजरी गायन का भावभीना आयोजन सम्पन्न हुआ। जैसे ही सावन के विरह गीतों की पहली तान बजी, पूरे सभागार में लोकसंस्कृति की आत्मा मानो जाग उठी और श्रोता रस में भीग उठे।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सुदृष्टि बाबा पी.जी. कॉलेज रानीगंज-बलिया के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष सिंह ने कहा कि “कजरी केवल गीत नहीं, यह विरह की भाषा है; यह सावन के भीगे मौसम में नायिका के मन के सूनेपन की अभिव्यक्ति है, जिसे लोककंठों ने पीढ़ियों से जीवित रखा है।” उन्होंने बताया कि पूर्वांचल की यह लोकधारा अब लुप्तप्राय हो रही है और साहित्य चेतना समाज जैसे मंचों द्वारा इसे पुनर्जीवित करने का कार्य अत्यंत सराहनीय है।
कार्यक्रम में ‘बंसिया बाज रही वृंदावन झूले कृष्णमुरारी ना’ से लेकर ‘छोटी ननदी के बात ना सहाई पिया’ जैसी कजरियों ने श्रोताओं को रससिक्त कर दिया। लोकगायक राजेश राय निराला, राजू मौर्य, चन्दन शर्मा व्यास, गंधर्व म्यूजिक एकेडमी के विद्यानिवास पाण्डेय, प्रीति सिंह, राकेश कुमार, कुश तिवारी आदि की प्रस्तुतियों में विरह की पीड़ा, सावन की नमी और नारी हृदय की पुकार की मार्मिक छवि उभरती रही।
इस अवसर पर प्रोफेसर कॉलोनी, लंका की डॉ. अपराजिता सिंह को उनकी अद्भुत शैक्षणिक एवं अनुसंधान उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें माला व अंगवस्त्र प्रदान कर साहित्य चेतना समाज ने गर्वपूर्वक सम्मानित किया। डॉ. सिंह ने 37 सेकंड में आवर्त सारणी का पाठ और 1 मिनट 26 सेकंड में उसका चार्ट बना कर लिम्का व इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। साथ ही एक उंगली से 4 सेकंड में A-Z टाइप करने का अनूठा विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है।
कार्यक्रम में डाॅ.ऋचा राय,डाॅ.शिवकुमार,विपिन बिहारी राय,विष्णुप्रिया,राजीव गुप्त,अरुण तिवारी,सीमा सिंह,शैलेन्द्र तिवारी,दिलीप आर्य,सुजीत सिंह प्रिन्स,शशांक शेखर पाण्डेय,राजीव मिश्र, डा.रविनन्दन वर्मा,हीरा राम गुप्ता,आनन्द तिवारी,आनन्द प्रकाश अग्रवाल,राजन तिवारी,अमरनाथ शर्मा,विनोद उपाध्याय,सहजानन्द राय,दौलत गुप्ता,सत्य प्रकाश,प्रांशु उपाध्याय,सुधाकर पाण्डेय गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संयोजन साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर' ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रभाकर त्रिपाठी ने किया।