विनोद अग्रवाल का विरोध इत्तेफाक कि पुरानी अदावत का हिस्सा!

ग़ाज़ीपुर। बात साल 2015 -16 की है। गाजीपुर नगरपालिका के चेयरमैन विनोद अग्रवाल थे और प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार में सदर विधायक विजय मिश्र मंत्री थे। तब दोनोंजनों में खूब सियासी कटीकटा चली थी। विजय मिश्र अपने मंत्री पद के प्रभाव से विनोद अग्रवाल को एकदम से आजिज करके रख दिए थे। दो बार उनका वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार तक छिनवा लिए थे। हालांकि हर बार हाईकोर्ट के दखल से विनोद अग्रवाल को उनके अधिकार वापस हुए थे और विजय मिश्र को मुंहकी खानी पड़ी थी।
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जाहिर है कि शहर के लोगों के लिए यह कहानी पुरानी हो चुकी है। विजय मिश्र न अब मंत्री हैं। न विनोद अग्रवाल चेयरमैन और न प्रदेश में सपा की सरकार ही है। बल्कि विनोद अग्रवाल की अपनी पार्टी भाजपा की सरकार है। हां यह जरूर है कि नगर पालिका चेयरमैन विनोद अग्रवाल की पत्नी सरिता अग्रवाल हैं। बावजूद विनोद अग्रवाल एक बार फिर वैसे ही पहले की तरह दबाव में गुजर रहे हैं। इसका अंदाजा शुक्रवार को तब मिला जब वह चेयरमैन पत्नी संग मीडिया से मुखातिब हुए। उसके कारणों पर फोकस किए। बताए कि विरोधी नगर पालिका के प्रभारी ईओ एसडीएम सदर प्रभात कुमार को गुमराह कर उन्हें चेयरमैन के विरुद्ध भड़का रहे हैं। नतीजा नगर पालिका का सारा कामकाज ठप पड़ गया है। इस मौके पर विरोधियों में दो का नाम भी वह एलानिया लिए। उनमें एक नाम अहमद जमाल का रहा। याद करें यह वही जमाल अहमद हैं, जो विजय मिश्र के मंत्री रहते उनके कारखास थे। हालांकि वह सपा में बने हुए हैं और विजय मिश्र सपा को बॉय-बॉय कर बसपा में जा चुके हैं। तब क्या यह महज इत्तेफाक है कि अहमद जमाल विनोद अग्रवाल का विरोध कर रहे हैं। सियासी हलके में तो यह चुटकी ली जा रही है कि विनोद अग्रवाल के सिर से अप्रत्यक्ष ही सही विजय मिश्र की साया हटी नहीं है।

इस संबंध में ‘आजकल समाचार’ ने अहमद जमाल को फोन लगाया। वह इसमें अपनी किसी भी भूमिका से साफ इन्कार किए। उनका कहना था पहले भी विजय मिश्र और विनोद अग्रवाल के बीच चली सियासी अदावत से उनका कोई वास्ता नहीं था और न अब कुछ ऐसा है। विनोद अग्रवाल की ओर से खुद पर नगर पालिका का 25 बिस्वा भूखंड पर अवैध कब्जे करने की चर्चा पर उनका कहना था कि यह आरोप सरासर बेबुनियाद है। अगर श्री अग्रवाल के पास इसका कोई सबूत है तो उन्हें उसे भी सार्वजनिक करना चाहिए। झूठे आरोप से किसी का मानहानि करने का उनको कतई हक नहीं है। फिर वह बताए कि उनकी समाजसेवी संस्था ह्यूमन मर्सी फाउंडेशन की ओर से मिश्र बाजार तिराहे के कराए गए सुंदरीकरण को श्री अग्रवाल ने तुड़वा दिया जबकि तत्कालीन डीएम संजय खत्री की पहल पर वह सुंदरीकरण कराया गया था। इस बात की जानकारी उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को दी। उधर से भरोसा भी मिला कि दोबारा सुंदरीकरण की जिम्मेदारी भी उन्हीं की संस्था को दी जाएगी। अहमद जमाल ने यह भी कहा कि उन्हें लेकर विनोद अग्रवाल को कोई गुमराह कर रहा है।