लावारिसों का मसीहा… मेडिकल कॉलेज के तानाशाह का फरमान!

गाज़ीपुर : समाज में जहां इंसानियत धीरे-धीरे दम तोड़ रही है, वहां एक शख्स पिछले 10 वर्षों से लावारिसों का सहारा बना हुआ था।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह—वही इंसान, जिसने हज़ारों लावारिस लाशों को कंधा दिया, उन्हें अंतिम संस्कार का सम्मान दिया, और अनगिनत बेसहारा रोगियों को अस्पताल पहुँचा कर ज़िंदगी की नई सांस दी। लेकिन आज वही “मसीहा” सिस्टम के तानाशाह फ़रमान का शिकार हो गया।
गाज़ीपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आनंद मिश्रा ने आदेश जारी कर दिया कि—
कुंवर सिंह को अस्पताल में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, यह फरमान बाक़ायदा मेडिकल कॉलेज के व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा गया, मानो इंसानियत को ही अस्पताल से बाहर धकेल दिया गया हो।
कर्मचारियों और डॉक्टरों में सन्नाटा है। क्योंकि उन्होंने अपनी आंखों से देखा था— जब कोरोना काल में अपने भी अपनों को छोड़ भाग गए थे, तब यही कुंवर सिंह रोज़ लाशें उठाकर श्मशान ले जाते थे। जहां मौत का सन्नाटा था, वहां वह अकेला खड़ा “भगवान” बनकर।
जब इस मामले पर प्रिंसिपल आनंद मिश्रा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सफाई दी—
रोक सिर्फ कुंवर सिंह पर नहीं, सभी समाजसेवियों पर है। अगर कोई एक्सीडेंटल केस लावारिस हालत में आता है तो उसे भर्ती करवा दें, इलाज मेडिकल कॉलेज करेगा।
एक बात तो यह भी है कि जिन मरीजों के साथ अटेंडेंट होते हैं, उनका तो कोई सुनता ही नहीं है।
लेकिन यह “सफाई” जनता के गले नहीं उतर रही।
लोग पूछ रहे हैं—
जिस इंसान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया, जिसे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सराहा,
जिसने 10 साल तक “लावारिसों का मसीहा” बनकर काम किया— आज वही मेडिकल कॉलेज की चौखट से क्यों ठुकरा दिया गया?
“जो लाशों को कंधा दे, उसे कांधों से धकेल दिया गया,
जो बेबसों का सहारा बना, उसे बेसहारा कर दिया गया।तानाशाह का फरमान इंसानियत पर चोट है, अब सवाल हर दिल से है—क्या सेवा करना ही अपराध है?”