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मनोज सिन्हा लड़ेंगे लोकसभा चुनाव!

गाजीपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का लेफ्टिनेंट गर्वनर बनाने का फैसला मोदी सरकार का भले हैरानजनक रहा हो मगर उनकी सक्रिय राजनीति में वापसी होगी तो राजनीतिक हलके के लिए वह खबर हैरान करने वाली नहीं होगी। तब यह भी संभव है कि भाजपा नेतृत्व लोकसभा के अगले 2024 के चुनाव में उन्हें उनकी परंपरागत सीट गाजीपुर से फिर उम्मीदवार बनाए।

हालांकि श्री सिन्हा के द्वेषीजन यही मान और कह रहे हैं कि सक्रिय राजनीति में उनकी वापसी नहीं होनी है। इसके पीछे उनका तर्क यही है कि श्री सिन्हा को सक्रिय राजनीति से हटाने के लिए ही जम्मू-कश्मीर का लेफ्टिनेंट गर्वनर नियुक्त किया गया है। मौजूदा वक्त में वह पद बिल्कुल चुनौतीपूर्ण है। वहां श्री सिन्हा की प्रशासकीय क्षमता और राजनीतिक समझदारी दाव पर लग गई है। यह तर्क देने वालों का यह भी कहना है कि अगर भाजपा नेतृत्व को उन्हें सक्रिय राजनीति में बनाए रखना होता तो लोकसभा चुनाव हारने के बाद ही उनको राज्यसभा में एडजस्ट कर केंद्र सरकार में दोबारा मंत्री का पद दे दिया गया होता। द्वेषीजन अपनी इस बात को और मजबूती देने के लिए साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद की हुई दौड़ मे्ं श्री सिन्हा के पीछे रह जाने की कहानी भी जोड़ देते हैं।

उधर मनोज सिन्हा के स्नेहीजन उनकी सक्रिय राजनीति में वापसी को लेकर न सिर्फ आश्वस्त हैं बल्कि यह भी मान कर चल रहे हैं कि भाजपा लोकसभा के अगले चुनाव में गाजीपुर सीट पर एक बार फिर मनोज सिन्हा पर दाव लगाएगी। उनकी दलील है कि अगले लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट पर भाजपा दोबारा काबिज होना चाहेगी और इसे मनोज सिन्हा के सिवाय और कोई संभव नहीं बना पाएगा। उनके जरिये पिछले लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट पर भाजपा के खाते में आए चार लाख 46 हजार 690 रिकॉर्ड वोट इस बात का गवाह है। स्नेहीजनों का यह भी कहना है कि सन् 1959 में जन्मे मनोज सिन्हा अगले लोकसभा चुनाव के वक्त  भी भाजपा में सक्रिय राजनीति की तय अधिकतम 75 साल की उम्र सीमा से परे ही रहेंगे।

मनोज सिन्हा की अगले लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट से दावेदारी के पीछे उनके अति करीबी और देश के जाने माने पत्रकार रामबहादुर राय के कथन को भी उद्धृत किया जा रहा है। मालूम हो कि मनोज सिन्हा के जम्मू-कश्मीर का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाए जाने के बाद रामबहादुर राय ने बीबीसी से बातचीत में साफ कहा कि श्री सिन्हा अगला लोकसभा चुनाव गाजीपुर से लड़ेंगे। वैसे कांग्रेस की तरह भाजपा को भी गवर्नर जैसे संवैधानिक पद से वापस बुलाकर अपने नेताओं को सक्रिय राजनीति में लाने से परहेज नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में मिजोरम के तत्कालीन गवर्नर के. शेखरन को वापस केरल बुलाकर कांग्रेस के धाकड़ नेता शशि थरुर के खिलाफ मुकाबिल किया गया था।

…और खुशी के साथ मायूसी भी

मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाए जाने पर जहां उनके समर्थक और गाजीपुर के भाजपा कार्यकर्ता खुश हैं वहीं मायूस भी हैं। खुशी यह कि उनके नेता को यथा सम्मान और यथा योग्य पद मिला है। मायूसी यह कि मनोज सिन्हा के जम्मू-कश्मीर चले जाने से जरूरत पड़ने पर पार्टी सहित शासन-प्रशासन में उनकी पैरवी कौन करेगा। फिर चिंता यह भी कि गाजीपुर में शुरू हुई विकास की धारा मनोज सिन्हा की नामौजूदगी में कहीं थम न जाए। बावजूद समर्थक और भाजपा कार्यकर्ता उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जिस दिन जम्मू-कश्मीर का राजकीय विमान मनोज सिन्हा को लेकर गाजीपुर के अंधऊ हवाई पट्टी पर लैंड करेगा और उनका जोरदार स्वागत करने का मौका मिलेगा।

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